Nirmala Budget

भारतीय किसान संघ की बजट पर प्रतिक्रिया

किसान शक्ति, नई दिल्ली

                                                                                                                      दिनांक- 01.02.2021

भारतीय किसान संघ की बजट पर प्रतिक्रिया

कृषि क्षेत्र के लिए यह दीर्घकालीन सोच रखकर घोषित बजट

Nirmala Budget

वित्त वर्ष 2021-22 के लिए घोषित  बजट यद्यपि असाधारण परिस्थितियों, कोरोना काल एवं विकट घड़ी का बजट है, तथपि कृषि क्षेत्र के लिए कहा जा सकता है कि यह दीर्घकालीन सोच रखकर घोषित बजट है। बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं मण्डियों के दृढ़ीकरण की बात करके किसानों का भ्रम निवारण का प्रयास भी हुआ है। 

जैसा कि बजट घोशणा में वित्त मंत्री जी ने कहान्यूनतम समर्थन मूल्य सभी कृषि ऊपज का डेढ़ गुणा मिले, इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन किया जायेगा, साथ ही कृषि मण्डियों (APMC) के ढांचागत विकास फंण्ड की भी घोषणा की गई।

  1. कृषिगत सकारात्मक बिंदु जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देगें – 
  • कृषि ऋण के लक्ष्य को बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रूप्ये तक कर दिया है। 
  • आॅप्रेषन ग्रीन स्कीमके दायरे में खराब होने वाले 22 और उत्पाद शामिल होगें।
  • 1000 और मंण्डियों को एनएएम के अंतर्गत लाया जायेगा।
  •  APMC कृषि अवसंरचना कोश की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिससे वे अपनी बुनियादी सुविधाओं मे वृद्वि कर सकेगें।
  • 5 मतस्य बंदरगाहकोच्चि, चेन्नई, विशाखापट्नम, पारादीप और पेटुआघाट आर्थिक क्रियाकलापों के हब्स के रूप में विकसित होगें। 
  • नदियों जलमार्गों के किनारे स्थित अंतर्देशीय मत्स्य बंदरगाहों पर और फिष लैंडिग सेंटर का भी विकास होगा।
  • ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष को बढ़ाकर 40,000 करोड़ का प्रवाधान।
  • कपास पर 10 प्रतिशत सीमा शुल्क लगेगा।
  • कच्चे रेशम और रेसम सूत पर अब 15 प्रतिशत सीमा शुल्क।
  • सूक्ष्म सिचाई के लिए 5000 करोड़ राशि का आवंटन किया गया।
  • ग्रामीण क्षेत्र के लिए भी स्वास्थय सुविधाओं का विस्तार लम्बे समय से प्रतीक्षित था, जो स्वागत योग्य है। 
  • शोंध कार्य के लिए बजट प्रावधान मंे कृशि क्षेत्र के लिए शोंध हेतु बजट की मांग हम लम्बे समय से करते आये थे।  
  1. किसानों को बजट से और भी उपेक्षाएं थी, जो निम्न प्रकार है – 
  • कृषि उपकरण तथा आदानों पर जी.एस.टी. हटानी चाहिए।
  • कृषि ऋण को ब्याज मुक्त किया जाये।
  • किसान सम्मान निधि को बढ़ाया जाए।
  • सिंचाई के उपकरणों पर अनुदान बढ़ाया जाए।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MDP) व्यवस्था में यदि मूलभूत परिवर्तन सोचते हंै, तो वह स्पश्ट हो जाता तो समाधान होता, अब भी भ्रम की स्थिति बनी रह गई।
  • कृषि उपादान/आदानों की राषि सीधे किसानों के बैंक खातों (क्ठज्) में प्रति एकड़ कृषि भूमि आधारित पूर्ण रूप से लागू की जाए। किसान अपने हिसाब से उपादान खुले बाजार में खरीद लेगेें।
  • जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रति एकड़ अनुदान सीधे किसान (क्ठज्) को दिया जाए, जिससे वह गोबर खाद डालकर ही किसान खेती करेगा। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम होगा या नहीं करेगा।
  • तिलहन उत्पादन में देष आत्मनिर्भर हो सकता था यदि खाद्य कच्चे तेल पर आयात शुल्क 27.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत नहीं किया गया होता, बल्कि 27.5 को बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाना चाहिए था। 

बजट में आश्वस्त किया गया है कि तीव्रतापूर्वक न्याय व्यवस्था की जायेगी, डीजल एवं पेट्रोल पर कृषि सेस से स्पश्ट होता है कि कृषि विकास के लिए निरन्तर एवं भावी स्थाई आमदनी कोष तैयार करने की योजना है। अंत में प्रधानमंत्री जी, कृषि मंत्री जी एवं वित्त मंत्री जी द्वारा आश्वस्त किया गया है कि यह ग्राम केन्द्रित बजट है, तो वर्षभर हमें यह पूछने का हक दे दिया हैं कि सिद्व करें, इसमें जो गर्भित संदेश है, वह भी पूरा किया जावे।

 

महामंत्री,

भारतीय किसान संघ

1.ट्रेक्टर परेड के नाम पर गदर, 2. तिरंगे का अपमान – राष्ट्रीय शर्म 3. गणतंत्र पर गदर – अक्षम्य अपराध।

पूछेगा देश, आखिर क्यों?

  • 26 जनवरी 2021 को ट्रेक्टर रैली के लिए अड़ियल रूख अपनाया गया, आखिर क्यों?
  • बार-बार दिल्ली पुलिस द्वारा नकारने पर भी ट्रेक्टर परेड़ की अनुमति या धमकी का प्रयास, आखिर क्यों?
  • दुश्मन देशों को आनन्द देने वाली हरकतों का बार-बार प्रयास किया जाता है, आखिर कब तक?
  • कृषि कानूनों की आड़ में गणतंत्र का विरोध, बहुत कुछ मुखौटे हटा गया, परन्तु आगे क्या?
  • नेतृत्व विहीन भीड़ एकत्र कर दिल्ली विजय, लाल किला फतह, तिरंगे का अपमान अब और आगे क्या?
  • कौन लोग हैं जो चाहते है कि किसान का खून बहे, गोली चले, लाठियां चले, फिर गिद्व भोज हों, निजी एवं सार्वजनिक सम्पत्तियां नश्ट की जावें, विश्व के सामने भारत की छवि धूमिल की गई, महिला पुलिस पर जानवरों की तरह प्रहार हुए, इनके पीछे कौन है?
  • हल वाले हाथों में भाले-बरछियां पकडाई गई, तलवारें लहराई गई। आखिर किसके विरोध में?
  • इस अक्षम्य अपराध के लिए दायी पापियों को माफी मांगने पर क्षमादान दे दिया जावें, क्यों?
  • गत दो माह से नित्य शडयंत्रों के बावजूद, तथाकथित किसान नेताओं को ये लोग दिखाई नहीं दे रहे थे। आखिर क्यो?
  • जवानों को किसानों के बच्चे बतलाने वालों के द्वारा उन बच्चों पर ही ट्रेक्टर चढ़ाने, कुचलने का कुकृत्य किया जा रहा था, आखिर अब तो किसान नेता स्वीकार कर लेवें कि उनके पीछे कोई राष्ट्रद्रोही तत्व हैं, अब भी नही स्वीकार करेगें तो फिर कब?
  • दिल्ली पुलिस द्वारा बार-बार पाकिस्तानी टवीट्र हंेण्डल (308) ज्ञात होने पर सावधानी की चेतावनी देने के बावजूद किसान नेताओं के दम्भपूर्ण वक्तव्य आते रहें परन्तु अब?
  • भोले-भाले किसानों के कंधों पर पांव रखकर अपना कद बढ़ाने/एजेंडा लागू करने की खूब हो गई नेतागिरी, क्या देशभर के किसान से अब भी चाहिए सहयोग/सहानुभूति?
  • प्रश्न  तो खड़े होगें और सफाई भी दी जायेगी, क्या किसान के नाम पर लगे धब्बे को धोया जा सकेगा? अन्नदाता को आतंकी के बराबर बैठा दिया, आखिर कारण तो होगा, क्यो?
  • भारतीय किसान संघ, जून 2020 से ही कहता आया है कि इन कानूनों को संशोधित करें और न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानून बने, परन्तु हम ऐसे नेतृत्व विहीन, हिंसक आंदोलन से दूर रहते है।  इस आंदोलन के नेतृत्त्व द्वारा जिस प्रकार मांगे बदलते गये और कानून वापसी पर आकर अड़ गये, तब स्पष्ट हो गया था कि हारे हुए राजनैतिक विपक्ष की हताषा, किसान नेताओं के बे्रनवाश और प्रसिद्वि के लोभ में नेता बनने के लालच में किसान से गद्यारी होने लगी है, तब कभी मीठी भाशा में  और कभी कड़वी भाषा में सावधान करने का प्रयास भी भारतीय किसान संघ द्वारा किया गया। परंतु धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगा कि यह कथाकथित नेतृत्व कुछ ओर ही परिणाम चाहता है, समाधान नहीं। वार्ता के रास्ते बंद कर दिए, सर्वोच्च न्यायालय की कमेटी का बहिष्कार किया। फिर ट्रेक्टर परेड़ और आगे संसद मार्ग पर मार्च एवं संसद के घेराव की घोशणा, आखिर क्यों?
  • इन सभी इवेंन्टस से पता चलता है कि गरीब किसानों का हित इनकी योजना में नहीं है, इनकी दृष्टि तो आगामी चुनाव पर दिखाई देती है। परन्तु विश्वासघात किसान के साथ क्यांे?
  • खुली चेतावनी दी जाने लगी, धमकियां दी गई, किसान को जैेसे आतंकी के रूप में प्रस्तुत कर सभी सीमाऐं लांघी गई। लेकिन ट्रेक्टर परेड़ का परिणाम देखकर और भी अधिक आश्चर्य हुआ कि योजनाबद्व आये, दण्डे-राड़-तलवारों के साथ पुलिस की गाड़ियों के शीशेे तोड़ने, पत्थर एवं डंडे फेककर मारना, आक्रमक तेवर अख्तियार किया गया, आखिर क्यों? जबकि पुलिस ने संयम से कार्य लिया। परन्तु अब उन सभी का मुखौटा उतर गया, जो पीछे से रिमोट से सारा खेल खेल रहे थे। जवाब तो किसान नेताओं से पूछेगें, आखिर क्यों?
  • भारतीय किसान संघ, दिल्ली पुलिस के धैर्य एंव संयम के लिए साधुवाद देता है, परन्तु सरकार एवं इंटेलिजेंस एजेंसीज की कमजोरी कहें या आंदोलन को लम्बा खीचने की मजबूरी, देशवासियों की समझ में नहीं आयी, इसलिए अराजक तत्वों को हिंसक खेल खेलने की छूट की निन्दा भी करता है। इस अपराध में लिप्त तथाकथित नेताओं के अतीत की भी जांच हो ताकि दोबारा देष के किसानों के साथ खिलवाड़ करने का कोई दुस्साहस नहीं कर सके।
  • इन किसान नेताओं ने सरकार के साथ केवल वार्ता का अभिनय किया, निगाहें तो 2024 तक बैठकर लोकसभा चुनावों पर थी। सरकार का डेढ – दों वर्षो के लिए कानून स्थागित करनेे और बैठकर समाधान पर चर्चा का प्रस्ताव भी इन्होनें ठुकरा दिया, जो दुर्भाग्यपूर्ण था। अब हम केन्द्र सरकार से आग्रह करते हैं कि हमारी पुरानी मांग पर पुनः विचार करें और कृषि कानूनों में समुचित सुधार, न्यूनतम समर्थन मूल्य बाबत कानून एवं अन्य लंबित समस्याओं पर सार्थक समाधान हेतु सरकारी पक्षकार, किसान प्रतिनिधि, कृषि अर्थषास्त्री, वैज्ञानिक एवं तज्ञ तटस्थ लोगों की सक्षम समिति गठित की जाये ताकि किसान भी देश के साथ आत्मनिर्भर भारत का भागीदार बन सके।

                                देश के हम भंडार भरेगें,  लेकिन कीमत पूरी लेगें

कानून स्थगित अवधि में एक सक्षम, तटस्थ एवं समाधान परक सदस्यों की समिति हो गठित: भारतीय किसान संघ

भारतीय किसान संघ वर्तमान समय में दिल्ली सीमा पर आंदोलनरत किसानों एवं सरकार के मध्य चल रही समाधान वार्ताओं के 11 ते दौर की वार्ता (22 जनवरी) के समापन पश्चात गंभीर चिंता व्यक्त करता है और हमारी मान्यता है कि संवाद हीनता की स्थिति किसी भी आंदोलन को समाधान की ओर नहीं ले जा सकती।

यद्यपि केन्द्र सरकार ने अभी तक जो प्रयास किये अर्थात समझौतावादी रुख दर्शाते हुए बिंदुवार चर्चा, तीनों कृषि कानूनों में वाजिब संशोधन, अन्य शंकाओं के लिए लिखित आश्वासन आदि बातें स्वीकार की और तीनों कानूनों को डेढ़ वर्ष के लिए स्थागित करने का भी प्रस्ताव दिया गया इसका भारतीय किसान संघ स्वागत करता है।

इसके बावजूद भी किसान नेताओं के द्वारा पहली शर्त- तीनो कानून वापसी की जिद करना उचित प्रतीत नहीं होता, इससे किसानों के हितों को ठेस पहुँच रही हैं।

अतः भारतीय किसान संघ संबंधित पक्षकारों से आग्रह करता है कि :

1. कानून स्थगित अवधि में एक सक्षम,तटस्थ  एवं समाधान परक सदस्यों की समिति गठित की जावें। जिसमें देशभर के सभी पंजीकृत किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व हो ।

2. समिति के गठन आदेश में ही उसके अधिकार, अधिकार क्षेत्र, समय बद्ध  कार्य योजना एवं विचाराधीन बिंदुओं को समाविष्ट किया जावें।

3. आंदोलनरत किसान संगठनों से अनुरोध है कि ते दो माह के इस आंदोलन की जिद् को छोड़कर देशभर के किसान की वर्षों की लंबित समस्याओं के समाधान के इस स्वर्णिम अवसर को अब परिणाम की ओर ले जाने में सहयोग करे।

4. सरकार से भी हमारा आग्रह है कि किसानों के देशभर में और भी संगठन है, उनकी उपेक्षा करना शोभनीय नहीं है। इसलिए उक्त बिंदु क्र. 2 में प्रस्तावित समिति गठन में किसान प्रतिनिधियों से सहमति लेकर समिति गठित की जावे तथा उसे कुछ सीमा तक संवैधानिक अधिकार दिये जावें।

5. गणतंत्र दिवस के पर्व को सम्मान , सोहार्दपूर्ण वातावरण में मनाकर विश्व के समक्ष सिद्ध करें कि हम घर में, आपस में भले ही लड़ाई करते हुए दिखाई देगें परन्तु देश के स्तर पर एक है। किसी को कोई भ्रम नही रहे। ऐसा संदेश जावें  कि यहां देशहित एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय को प्रथम  वरीयता दी जाती है।

6. भारतीय किसान संघ पुनः घोषणा करता है कि तीनों कानूनों में संशोधन और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप  देने की हमारी मांगे यथावत है, जिनके लिए आवश्यक हुआ तो हम भी आंदोलन के लिए सड़कों पर आने का विचार करेंगे।

आशा करता हूँ कि संघटन के इस निर्णय को सभी किसान बंधु, सरकार, किसान नेता एवं शेष समाज सकारात्मक रूप में लेगें और एक देश, कृषि प्रधान देश होने के सिद्धान्त को चरितार्थ करेगे।

बद्रीनारायण चौधरीमहामंत्री,
भारतीय किसान संघ,

मो. 09414048490

माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा समिति गठन के निर्णय का स्वागत, इसमें सम्पूर्ण देश का सर्वसमावेशी प्रतिनिधित्व हो : भारतीय किसान संघ

कृषि सुधार से संबंधित तीन कानूनों को लेकर सरकार एवं किसान नेताओं के बीच लगभग 50 दिनों से चल रहें गतिरोध के बाद आज उच्चतम न्यायालय के द्वारा जो दो निर्णय दिए गये :-

  1. तीनों कानूनों पर स्थगन आदेश।
  2. कानूनों पर विचार करने के लिए समिति का गठन।

भारतीय किसान संघ माननीय न्यायालय के निर्णय का स्वागत एवं इस बात के लिए आभार व्यक्त करता है कि इस विकट घड़ी में किसान परिवार दिल्ली की सीमा पर पड़े है, उनको न्याय की उम्मीद जगाई है ताकि वे अपने घर लोट सकें।

निर्विवाद, तटस्थ एंव सभी पक्षकारों को प्रतिनिधित्व करने वाली समिति का माननीय न्यायालय ने पूर्व में जो संकेत दिया था, उस संतुलन का अभाव समिति में स्पष्ट दिखाई देता है।

माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित समिति सम्पूर्ण देश का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। इसमें केवल उत्तर भारत के कुछ क्षेत्र तथा मध्य भारत का प्रतिनिधित्व हो रहा है। समिति में दक्षिण भारत, पूर्व भारत, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, असम तथा सम्पूर्ण पूर्वोत्तर भारत छूट रहा है। उसी प्रकार से आई.सी.ए.आर. (ICAR) से विशेषज्ञ भी नहीं दिख रहे हैं। यह तीनों कानून देश के हर नागरिक को प्रभावित करने वाले है।

अतः हम माननीय उच्चतम न्यायालय से निवेदन करते है कि इस समिति में सम्पूर्ण भारत में कार्य करने वाले भारतीय किसान संघ जैसे पंजीकृत संगठनों के साथ देश के सभी भोगौलिक हिस्सों का प्रतिनिधित्व हो।

इस कानून से प्रभावित होने वाले घटकों जैसे उपभोक्ता, व्यापारी के संगठनों का भी इस समिति में होना आवश्यक है।

भारतीय किसान संघ भी इसमें पक्षकार था, जिसका कार्य, 30 लाख सदस्यता के साथ देशभर के 30 प्रांतों के 550 जिलों के 4000 तहसीलों और 50 हजार गावों तक फैला हुआ है।

अतः माननीय न्यायालय से प्रार्थना है कि देशभर के किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक मात्र संघटन

होने के कारण न्यायालय द्वारा गठित समिति में भारतीय किसान संघ का प्रतिनिधि भी अवश्य होना चाहिए।

भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक बेंगलरू में प्रारंभ।


अखिल भारतीय मंत्री श्री मोहिनी मोहन मिश्र ने वार्षिक महामंत्री प्रतिवेदन का वाचन किया।

बेंगलरू- भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक देश की आईटी राजधानी बेंगलरू में आहूत की गई है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में भारतीय किसान संघ के देशभर से आये प्रदेशों व प्रांतो के प्रमुख कार्यकर्ता सम्मिलित हुये हैं। कोरोना के कारण बैठक में शामिल होने वाली संख्या को सीमित रखा गया है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के प्रथम दिन की बैठक का शुभारंभ गौ पूजन व ध्वजारोहण के साथ किया गया। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के प्रारंभ में ही एक वर्ष की अवधि के दौरान कालकलवित हुये कार्यकर्ताओं को श्रद्वांजली दी गई। साथ ही देश की सीमाओं पर तैनात शहीद सैनिकों व प्राकृतिक आपदाओं में देवलोक को प्राप्त हुये अन्नदाता किसान को भी श्रद्वांजली अर्पित की गई।


अखिल भारतीय मंत्री श्री मोहिनी मोहन मिश्र ने किया वार्षिक प्रतिवेदन वाचन।
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय मंत्री श्री मोहिनी मोहन मिश्र ने प्रतिनिधि सभा में वार्षिक प्रतिवेदन का वाचन करते हुये बताया कि कोरोना की इस आपदा की परिस्थिति में सेवा कार्यो में लगे सभी वर्ग के साथ देश के अन्नदाता किसान ने देश का भरपूर सहयोग दिया। देश में कहीं भी खाने की सामग्री की कमी होने के समाचार नहीं मिले। श्री मिश्र ने आगे बताया कि देश के प्रधानमंत्री जी ने आम जन को संकट के समय गंभीरता पूर्वक नियम पालन का संस्कार देते हुए संपूर्ण देश में एक ही समय एक ही साथ थाली बजाना, कभी दीपक जलाने का आयोजन करके विश्व को चकित कर दिया। दुनिया भर मेें हाथ जोड़कर अभिवादन, आयुर्वेदिक औशधियों -जड़ी बूटियों का, भारतीय परिवार परम्परा का, समरस समाज जीवन का, मिल-बांटकर खाने का अनूठा अनुभव भी देखा और विदेशों में भी अपनाने का प्रयास किया गया।
श्री मिश्र ने प्रतिवेदन में आगे कहा कि देशभर में समाज ने दीपोत्सव मनाकर मंदिर निर्माण की उस ऐतिहासिक घड़ी का पुरजोर स्वागत किया और विश्व हिन्दु परिषद ने घोषणा की है कि कोई सरकारी सहयोग, कम्पनियों का सी.एस.आर. धन, विदेशी सहायता, राजनैतिक दलों से सहयोग प्राप्त राशि मंदिर के निर्माण मे प्रयुक्त नही होगी। केवल और केवल समाज के समर्पण से ही मंदिर का निर्माण पूरा होगा।
कृषि कानूनों पर भारतीय किसान संघ के अभिमत की जानकारी भी श्री मिश्र ने प्रतिनिधि सभा को दी। श्री मिश्र ने बताया कि वर्ष 2020 में 5 जून को केन्द्र सरकार द्वारा तीन अध्यादेश भी लाये गये, जो बाद में दोनों सदनों द्वारा पारित होकर महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा हस्ताक्षरों के बाद कानून का रूप ले चुके हैं । इन तीनों कानूनों के विरोध में भारतीय किसान संघ द्वारा जिला केन्द्रों पर धरने आयोजित किये गये और लगभग 20,000 ग्राम समितियों से प्रस्ताव पारित कर केन्द्रीय कृषि मंत्री जी एवं प्रधानमंत्री जी को भिजवाये गये। हमारे द्वारा इन कानूनों के पारित होने से पहले ही इनमें मुख्यतया चार संशोधनों की मांग रखी गई थी। परन्तु कृषि मंत्रालय द्वारा इन सुझावों की अनदेखी की गई और पंजाब प्रांत मे विरोध के स्वर उठें, जिन्होनें तीन माह तक वहां प्रांत स्तर पर आंदोलन जारी रखा, जो अक्टूबर के अंत में दिल्ली बार्ड़र पर धरने के रूप में आ पहुॅचा, दिल्ली पुलिस ने राजधानी में प्रवेश नहीं करने दिया, फलस्वरूप 2 माह से चल रहे इस आंदोलन में धीरे-धीरे हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान जुड़ते गये। दिसम्बर 15-16 को यह प्रकरण सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, वहां चल रहे वाद में भारतीय किसान संघ भी संशोधन या एक चौथा नया कानून बनाकर किसानों की शंकाओं का निवारण कराने की मांग पर आज भी आंदोलनरत है।
श्री मिश्र ने प्रतिनिधि सभा के समक्ष भारतीय किसान संघ के विभिन्न आयामों द्वारा किये जा रहे विभिन्न प्रदेशों व प्रांतो के कार्यवृत्तों को भी रखा।