भारतीय किसान संघ वर्तमान समय में दिल्ली सीमा पर आंदोलनरत किसानों एवं सरकार के मध्य चल रही समाधान वार्ताओं के 11 ते दौर की वार्ता (22 जनवरी) के समापन पश्चात गंभीर चिंता व्यक्त करता है और हमारी मान्यता है कि संवाद हीनता की स्थिति किसी भी आंदोलन को समाधान की ओर नहीं ले जा सकती।

यद्यपि केन्द्र सरकार ने अभी तक जो प्रयास किये अर्थात समझौतावादी रुख दर्शाते हुए बिंदुवार चर्चा, तीनों कृषि कानूनों में वाजिब संशोधन, अन्य शंकाओं के लिए लिखित आश्वासन आदि बातें स्वीकार की और तीनों कानूनों को डेढ़ वर्ष के लिए स्थागित करने का भी प्रस्ताव दिया गया इसका भारतीय किसान संघ स्वागत करता है।

इसके बावजूद भी किसान नेताओं के द्वारा पहली शर्त- तीनो कानून वापसी की जिद करना उचित प्रतीत नहीं होता, इससे किसानों के हितों को ठेस पहुँच रही हैं।

अतः भारतीय किसान संघ संबंधित पक्षकारों से आग्रह करता है कि :

1. कानून स्थगित अवधि में एक सक्षम,तटस्थ  एवं समाधान परक सदस्यों की समिति गठित की जावें। जिसमें देशभर के सभी पंजीकृत किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व हो ।

2. समिति के गठन आदेश में ही उसके अधिकार, अधिकार क्षेत्र, समय बद्ध  कार्य योजना एवं विचाराधीन बिंदुओं को समाविष्ट किया जावें।

3. आंदोलनरत किसान संगठनों से अनुरोध है कि ते दो माह के इस आंदोलन की जिद् को छोड़कर देशभर के किसान की वर्षों की लंबित समस्याओं के समाधान के इस स्वर्णिम अवसर को अब परिणाम की ओर ले जाने में सहयोग करे।

4. सरकार से भी हमारा आग्रह है कि किसानों के देशभर में और भी संगठन है, उनकी उपेक्षा करना शोभनीय नहीं है। इसलिए उक्त बिंदु क्र. 2 में प्रस्तावित समिति गठन में किसान प्रतिनिधियों से सहमति लेकर समिति गठित की जावे तथा उसे कुछ सीमा तक संवैधानिक अधिकार दिये जावें।

5. गणतंत्र दिवस के पर्व को सम्मान , सोहार्दपूर्ण वातावरण में मनाकर विश्व के समक्ष सिद्ध करें कि हम घर में, आपस में भले ही लड़ाई करते हुए दिखाई देगें परन्तु देश के स्तर पर एक है। किसी को कोई भ्रम नही रहे। ऐसा संदेश जावें  कि यहां देशहित एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय को प्रथम  वरीयता दी जाती है।

6. भारतीय किसान संघ पुनः घोषणा करता है कि तीनों कानूनों में संशोधन और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप  देने की हमारी मांगे यथावत है, जिनके लिए आवश्यक हुआ तो हम भी आंदोलन के लिए सड़कों पर आने का विचार करेंगे।

आशा करता हूँ कि संघटन के इस निर्णय को सभी किसान बंधु, सरकार, किसान नेता एवं शेष समाज सकारात्मक रूप में लेगें और एक देश, कृषि प्रधान देश होने के सिद्धान्त को चरितार्थ करेगे।

बद्रीनारायण चौधरीमहामंत्री,
भारतीय किसान संघ,

मो. 09414048490