कृषि सुधार से संबंधित तीन कानूनों को लेकर सरकार एवं किसान नेताओं के बीच लगभग 50 दिनों से चल रहें गतिरोध के बाद आज उच्चतम न्यायालय के द्वारा जो दो निर्णय दिए गये :-
भारतीय किसान संघ माननीय न्यायालय के निर्णय का स्वागत एवं इस बात के लिए आभार व्यक्त करता है कि इस विकट घड़ी में किसान परिवार दिल्ली की सीमा पर पड़े है, उनको न्याय की उम्मीद जगाई है ताकि वे अपने घर लोट सकें।
निर्विवाद, तटस्थ एंव सभी पक्षकारों को प्रतिनिधित्व करने वाली समिति का माननीय न्यायालय ने पूर्व में जो संकेत दिया था, उस संतुलन का अभाव समिति में स्पष्ट दिखाई देता है।
माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित समिति सम्पूर्ण देश का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। इसमें केवल उत्तर भारत के कुछ क्षेत्र तथा मध्य भारत का प्रतिनिधित्व हो रहा है। समिति में दक्षिण भारत, पूर्व भारत, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, असम तथा सम्पूर्ण पूर्वोत्तर भारत छूट रहा है। उसी प्रकार से आई.सी.ए.आर. (ICAR) से विशेषज्ञ भी नहीं दिख रहे हैं। यह तीनों कानून देश के हर नागरिक को प्रभावित करने वाले है।
अतः हम माननीय उच्चतम न्यायालय से निवेदन करते है कि इस समिति में सम्पूर्ण भारत में कार्य करने वाले भारतीय किसान संघ जैसे पंजीकृत संगठनों के साथ देश के सभी भोगौलिक हिस्सों का प्रतिनिधित्व हो।
इस कानून से प्रभावित होने वाले घटकों जैसे उपभोक्ता, व्यापारी के संगठनों का भी इस समिति में होना आवश्यक है।
भारतीय किसान संघ भी इसमें पक्षकार था, जिसका कार्य, 30 लाख सदस्यता के साथ देशभर के 30 प्रांतों के 550 जिलों के 4000 तहसीलों और 50 हजार गावों तक फैला हुआ है।
अतः माननीय न्यायालय से प्रार्थना है कि देशभर के किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक मात्र संघटन
होने के कारण न्यायालय द्वारा गठित समिति में भारतीय किसान संघ का प्रतिनिधि भी अवश्य होना चाहिए।
अखिल भारतीय मंत्री श्री मोहिनी मोहन मिश्र ने वार्षिक महामंत्री प्रतिवेदन का वाचन किया।
बेंगलरू- भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक देश की आईटी राजधानी बेंगलरू में आहूत की गई है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में भारतीय किसान संघ के देशभर से आये प्रदेशों व प्रांतो के प्रमुख कार्यकर्ता सम्मिलित हुये हैं। कोरोना के कारण बैठक में शामिल होने वाली संख्या को सीमित रखा गया है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के प्रथम दिन की बैठक का शुभारंभ गौ पूजन व ध्वजारोहण के साथ किया गया। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के प्रारंभ में ही एक वर्ष की अवधि के दौरान कालकलवित हुये कार्यकर्ताओं को श्रद्वांजली दी गई। साथ ही देश की सीमाओं पर तैनात शहीद सैनिकों व प्राकृतिक आपदाओं में देवलोक को प्राप्त हुये अन्नदाता किसान को भी श्रद्वांजली अर्पित की गई।
अखिल भारतीय मंत्री श्री मोहिनी मोहन मिश्र ने किया वार्षिक प्रतिवेदन वाचन।
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय मंत्री श्री मोहिनी मोहन मिश्र ने प्रतिनिधि सभा में वार्षिक प्रतिवेदन का वाचन करते हुये बताया कि कोरोना की इस आपदा की परिस्थिति में सेवा कार्यो में लगे सभी वर्ग के साथ देश के अन्नदाता किसान ने देश का भरपूर सहयोग दिया। देश में कहीं भी खाने की सामग्री की कमी होने के समाचार नहीं मिले। श्री मिश्र ने आगे बताया कि देश के प्रधानमंत्री जी ने आम जन को संकट के समय गंभीरता पूर्वक नियम पालन का संस्कार देते हुए संपूर्ण देश में एक ही समय एक ही साथ थाली बजाना, कभी दीपक जलाने का आयोजन करके विश्व को चकित कर दिया। दुनिया भर मेें हाथ जोड़कर अभिवादन, आयुर्वेदिक औशधियों -जड़ी बूटियों का, भारतीय परिवार परम्परा का, समरस समाज जीवन का, मिल-बांटकर खाने का अनूठा अनुभव भी देखा और विदेशों में भी अपनाने का प्रयास किया गया।
श्री मिश्र ने प्रतिवेदन में आगे कहा कि देशभर में समाज ने दीपोत्सव मनाकर मंदिर निर्माण की उस ऐतिहासिक घड़ी का पुरजोर स्वागत किया और विश्व हिन्दु परिषद ने घोषणा की है कि कोई सरकारी सहयोग, कम्पनियों का सी.एस.आर. धन, विदेशी सहायता, राजनैतिक दलों से सहयोग प्राप्त राशि मंदिर के निर्माण मे प्रयुक्त नही होगी। केवल और केवल समाज के समर्पण से ही मंदिर का निर्माण पूरा होगा।
कृषि कानूनों पर भारतीय किसान संघ के अभिमत की जानकारी भी श्री मिश्र ने प्रतिनिधि सभा को दी। श्री मिश्र ने बताया कि वर्ष 2020 में 5 जून को केन्द्र सरकार द्वारा तीन अध्यादेश भी लाये गये, जो बाद में दोनों सदनों द्वारा पारित होकर महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा हस्ताक्षरों के बाद कानून का रूप ले चुके हैं । इन तीनों कानूनों के विरोध में भारतीय किसान संघ द्वारा जिला केन्द्रों पर धरने आयोजित किये गये और लगभग 20,000 ग्राम समितियों से प्रस्ताव पारित कर केन्द्रीय कृषि मंत्री जी एवं प्रधानमंत्री जी को भिजवाये गये। हमारे द्वारा इन कानूनों के पारित होने से पहले ही इनमें मुख्यतया चार संशोधनों की मांग रखी गई थी। परन्तु कृषि मंत्रालय द्वारा इन सुझावों की अनदेखी की गई और पंजाब प्रांत मे विरोध के स्वर उठें, जिन्होनें तीन माह तक वहां प्रांत स्तर पर आंदोलन जारी रखा, जो अक्टूबर के अंत में दिल्ली बार्ड़र पर धरने के रूप में आ पहुॅचा, दिल्ली पुलिस ने राजधानी में प्रवेश नहीं करने दिया, फलस्वरूप 2 माह से चल रहे इस आंदोलन में धीरे-धीरे हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान जुड़ते गये। दिसम्बर 15-16 को यह प्रकरण सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, वहां चल रहे वाद में भारतीय किसान संघ भी संशोधन या एक चौथा नया कानून बनाकर किसानों की शंकाओं का निवारण कराने की मांग पर आज भी आंदोलनरत है।
श्री मिश्र ने प्रतिनिधि सभा के समक्ष भारतीय किसान संघ के विभिन्न आयामों द्वारा किये जा रहे विभिन्न प्रदेशों व प्रांतो के कार्यवृत्तों को भी रखा।
भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर से की मुलाकात।
नई_दिल्ली/ अगस्त 2020- देश के सबसे बड़े गैर राजनैतिक किसान संगठन भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर से केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के लिये लाये गये तीनों अध्यादेशों के संबंध में चर्चा करने के लिए विगत बुधवार को मुलाकात की। केंद्रीय कृषि मंत्री से हुई बातचीत के बारे में जानकारी देते हुये भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा जो कृषि ऊपज के व्यापार सम्बन्धी तीनों अध्यादेशों में बहुत बड़ी खामियां है जिनको दूर किया जाना अति आवश्यक है। श्री चौधरी ने आगे बताया कि आज कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर को किसान हित के रूप में आवश्यक संशोधनों / सुझाव से अवगत कराया गया । जिस पर श्री तोमर ने सकारात्मक रूख रखते हुये कृषि व किसान हित में आवश्यक विचार करने का आश्वासन दिया है। इस अवसर पर भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी, अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री दिनेश कुलकर्णी , अखिल भारतीय उपाध्यक्ष श्री प्रभाकर केलकर व अखिल भारतीय मंत्री श्री साई रेड्डी मौजूद रहे ।
भारतीय किसान संघ ने की अध्यादेशों में संशोधन की मांगे
देश के सबसे बड़े किसानों के गैर राजनैतिक संगठन भारतीय किसान संघ ने केंद्र सरकार के समक्ष अध्यादेशों में संशोधन के लिये चार सूत्री मांगे रखी है।१) सभी प्रकार की खरीद कम से कम, समर्थन मूल्य पर होने का कानूनन प्रावधान होना चाहिए ।२) निजी व्यापारियों का राज्य एवं केंद्र स्तर पर पंजीयन आवश्यक हो तथा उनकी बैंक सेक्युरिटी हो। जो एक पोर्टल के द्वारा सबके लिए उपलब्ध रहे ।३) इस संदर्भित जो भी विवाद हों उनके समाधान हेतु स्वतंत्र कृषि न्यायालयों की व्यवस्था हो और सब विवादों का निपटारा किसान के गृह जिले में ही होना चाहिए।4) इन अध्यादेशों में #किसान की परिभाषा में कार्पोरेट कंपनीयां भी एक किसान के रूप में आ रही हैं। उसको भी तर्कसंगत बनाकर जो केवल कृषि पर ही निर्भर हैं , वही इस परिभाषा में किसान माना जावे । यह सुधार होना चाहिए।
केन्द्र सरकार द्वारा लाये गये तीन अध्यादेश 1-आवश्यक वास्तु अधिनियम 1955 में सुधार अध्यादेश – 20202-कृषि ऊपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश – 20203-कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण ) कीमत आश्वाशन और कृषि सेवा पर करार अध्यादेश – 2020 इस सन्दर्भ में अभी तक देश भर से 168 जिलो के 600 से भी अधिक विकास खंडो के , 10 हजार ग्रामों से माननीय प्रधानमन्त्री जी के नाम प्रस्ताव पारित कर भेजे गए हैं । ( फोटो में : कृषि मंत्री श्री तोमर जी को ज्ञापन देते हुए सर्व श्री दिनेश कुलकर्णी , बद्री नारायण जी , केंद्रीय पशु पालन मंत्री श्री गिरिराज सिंह जी, केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर जी, साईं रेड्डी जी, प्रभाकर जी केलकर , सुरेन्द्रन जी बाये से दाये )
24 अगस्त 2020नई दिल्ली– भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर से बीटी बैंगन के जेनेटिकली मोडीफाइड परीक्षणों के लिए अनुमति नहीं देने की मांग को लेकर मुलाकात की उस समय श्री जावेडकर जी ने यह आश्वाशन दिया । भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति द्वारा हाल ही में देश के 8 राज्यों में जनुकीय परिवर्तित (जी.एम.) फसल बीटी बैंगन के द्वितीय परीक्षण को करने की अनुमति दी है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से हुई मुलाकात के बारे में जानकारी देते हुये प्रतिनिधिमंडल में शामिल भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने बताया कि किसान संघ के द्वारा केंद्रीय मंत्री के सामने बात रखी गई कि पर्यावरण प्रदूषण, जैव विविधता को खतरा, पशु एवं मानव स्वास्थ्य, उत्पादकता, बाजार एकाधिकार आदि जैसे कई गंभीर मुद्दे हैं, जिन्हें जीएम फसलों के ऐसे परीक्षणों की अनुमति देने से पहले जानने एवम विश्लेषण करने की आवश्यकता है, जो कि अभी भी लंबित हैं।
श्री चौधरी ने आगे अवगत कराया कि अधिकांश प्रतिष्ठित संस्थानों में, संसदीय स्थायी समिति, माननीय सर्वोच्च न्यायालय की तकनीकी विशेषज्ञ समिति, प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के विचार, कुछ कृषि प्रधान राज्यों के संबंधित अधिकारी आदि ने अपनी आशंका व्यक्त की है। ऐसे में परीक्षण की अनुमति देना उचित नहीं होगा, जबकि कई राज्यों ने पहले ही जीएम खाद्य फसलों के परीक्षणों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अभी देश कोरोना महामारी के संकट से झूझ रहा है ऐसे समय, संबधित घटकों को अंधेरे में रखते हुए, बिना किसी से चर्चा करते हुए GEAC द्वारा यह निर्णय लिया गया, जिसका किसान संघ ने विरोध किया। GEAC की भी इसके बारे में पूछताछ होनी चाहिए।इस संदर्भ में तमिलनाडु, कर्नाटक, छतीसगढ़ ,मध्यप्रदेश, झारखंड,बिहार, बंगाल एवं ओडिशा के मा. मुख्यमंत्रियों को भी ज्ञापन देकर अनुरोध किया है कि वे अपने राज्यों में इसकी परीक्षण की अनुमति न दे।
सभी पहलूओं को स्पष्ट करने के बाद, पूरे देश में कही भी , संपूर्ण कृषक समुदाय और उपभोक्ताओं के लाभ के लिए बीटी बैंगन तथा अन्य जी.एम. फसलों के परीक्षण की अनुमति न देने का तथा देश अभी Non- GMO है , इसलिए GM खाद्यानों पर भी रोक लगे ऐसा सरकार से आग्रह किया है। अखिल भारतीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर , भारतीय किसान संघ
तत्संबंध में पर्यावरण मन्त्री श्री जाबड़ेकर जी ने सभी पहलुओं पर विचार कर सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया। इस अवसर पर भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री दिनेश कुलकर्णी, अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी, अखिल भारतीय उपाध्यक्ष श्री प्रभाकर केलकर व अखिल भारतीय मंत्री श्री साई रेड्डी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ।
कृषिआधारित अर्थ नीति के बिना देश को आत्मनिर्भर नही बनाया जा सकता- त्रिलोचन महापात्रा महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारत सरकार
उत्तरप्रदेश/ मेरठ:भारतीय किसान संघ मेरठ प्रांत द्वारा गो आधारित जैविक कृषक संगम वेबिनार का आयोजन 2 अक्टूबर 2020 समय 2:30 बजे को ग्रास फार्म रोड स्थित मेरठ कैंट सी0आई0आर0सी के सभागार में आदरणीय श्रीमान दिनेश कुलकर्णी जी, अखिल भारतीय संगठन मंत्री भारतीय किसान संघ की अध्यक्षता में संचालित किया गया।
मुख्य वक्ता श्रीमान त्रिलोचन महापात्रा जी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद,भारत सरकार व कार्यक्रम प्रस्तावना हेतु ठाकुर धर्मपाल सिंह जी,अखिल भारतीय सह-जैविक प्रमुख,भारतीय किसान संघ रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री राज सिंह चौहान जी प्रांतीय महामंत्री व श्री कुलदीप कुमार जी प्रांतीय मंत्री भारतीय किसान संघ मेरठ प्रांत ने किया।धन्यवाद ज्ञापन प्रांतीय अध्यक्ष ठाकुर हरवीर सिंह जी ने दिया इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड,हरियाणा,दिल्ली, आदि प्रदेशों के हजारो जैविक कृषक एवं अनेक कृषि वैज्ञानिक कार्यक्रम में सम्मिलित रहे।
मुख्य वक्ता श्रीमान त्रिलोचन महापात्रा जी ने कहा कि कृषि को छोड़कर हमारी अर्थ नीति या आर्थिक स्थिति में परिवर्तन नहीं हो सकता अगर खेती को छोड़कर अर्थ नीति की या अर्थव्यवस्था की बात करें। इसलिए यद्यपि कृषि का योगदान जीडीपी में 14-15% कम है55% जनमानस कृषि पर अभी भी निर्भर करते हैं और देश गांव में बसता है अगर गांव के सरवर्धन,उन्नति,समृद्धि की बात करें तो खेती के बिना संभव नहीं हो पाएगा तो इसलिए 14-15% योगदान कृषि का जीडीपी में डोमेस्टिक प्रोडक्ट में कम होने के बावजूद खेती हमारे लिए देश के लिए आवश्यक है कीमती है और कृषि को छोड़कर देश नहीं चल सकता।
आज हम लोगों ने किसान भाइयों के अथक परिश्रम से देश 130 करोड़ से ज्यादा देश के जनमानस को अनाज खिला रहे हैं बाहर से हमें आयत नहीं करना पड़ता और हमारे पास इतना अनाज था कि कोविड़ के दौरान फ्री बांटने में सक्षम रहें कोविड के दौरान देश का किसान देश में कोई भूखा ना रहे ऐसी चिंता करते हुए अपने काम में लगे हे जिसके चलते फ़ूडक्रेन का उत्पादन 295 मिलियन टन जो कभी नहीं हुआ था यह सफलता की गाथा सभी किसान भाइयों कि जिंदगी से जुड़ा हुआ है किसानों के पसीने व मेहनत से जुड़ा हुआ है इसलिए विशेष रूप से मैं आप सभी किसानों का आभार व्यक्त करता हूं और बाकी सभी सेक्टरों में नुकसान हुआ।कृषि ने देश को मजबूत किया है। इसलिए यह देश बिना कृषि के आत्मनिर्भर नहीं बन सकता हमारी अर्थ नीति का आधार कृषि और सिर्फ कृषि ही हो सकता है इससे छोड़कर और कोई रास्ता दिखाई नहीं देता है।
मुख्य अतिथि श्रीमान दिनेश कुलकर्णी जी ने कहा कि आज हमारे देश की पुरातत्व कृषि संस्कृति यानी गौ आधारित कृषि जो हमारी साझा धरोहर है उसे भारतीय किसान संघ द्वारा देश के हजारों किसानों ने अपनाया है ओर उसके सकारात्मक प्रमाण आये। देश के सभी किसानों इसको अपनाए ।गौ आधारित जैविक कृषि के मामले में किसानों को अनेक पर के भ्रम हैं उनको दूर करना होगा उनके लिये अनेक प्रकार संसाधन करने होंगे इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान को भी इसमें आगे आना होगा। जिस प्रकार हरित क्रांति को उस समय की आवश्यकता को ध्यान में रखकर काम किया गया आज उसी प्रकार से आज की आवश्यकता के अनुरूप भारत सरकार को देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों को युद्ध स्तर पर लगना होगा ताकि गौ आधारित कृषि में हो भ्रम को किसानों के मन से निकला जा सके।भारतीय किसान संघ इस दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है अब सरकार को भी विशेष अभियान के तहत आगे आना होगा।