Bharatiya Kisan Sangh

भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर से की मुलाकात।
नई_दिल्ली/ अगस्त 2020- देश के सबसे बड़े गैर राजनैतिक किसान संगठन भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर से केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के लिये लाये गये तीनों अध्यादेशों के संबंध में चर्चा करने के लिए विगत बुधवार को मुलाकात की। केंद्रीय कृषि मंत्री से हुई बातचीत के बारे में जानकारी देते हुये भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा जो कृषि ऊपज के व्यापार सम्बन्धी तीनों अध्यादेशों में बहुत बड़ी खामियां है जिनको दूर किया जाना अति आवश्यक है। श्री चौधरी  ने आगे बताया कि आज कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर को किसान हित के रूप में  आवश्यक संशोधनों / सुझाव से अवगत कराया गया । जिस पर श्री तोमर ने सकारात्मक रूख रखते हुये कृषि व किसान हित में आवश्यक विचार करने  का आश्वासन दिया है। इस अवसर पर भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी, अखिल भारतीय  संगठन मंत्री श्री दिनेश कुलकर्णी , अखिल भारतीय उपाध्यक्ष श्री प्रभाकर केलकर व अखिल भारतीय मंत्री श्री साई रेड्डी मौजूद रहे ।
भारतीय किसान संघ ने की अध्यादेशों में संशोधन की मांगे
देश के सबसे बड़े किसानों के गैर राजनैतिक संगठन भारतीय किसान संघ ने केंद्र सरकार के समक्ष अध्यादेशों में संशोधन के लिये चार सूत्री मांगे रखी है।१) सभी प्रकार की खरीद कम से कम,  समर्थन मूल्य पर होने का कानूनन प्रावधान होना चाहिए ।२) निजी व्यापारियों का राज्य एवं  केंद्र स्तर पर पंजीयन आवश्यक हो तथा उनकी बैंक सेक्युरिटी हो। जो एक पोर्टल के द्वारा सबके लिए  उपलब्ध रहे ।३) इस संदर्भित जो भी विवाद हों उनके समाधान हेतु स्वतंत्र कृषि न्यायालयों की व्यवस्था हो और सब विवादों का निपटारा किसान के गृह जिले में ही होना चाहिए।4) इन अध्यादेशों  में #किसान की परिभाषा  में कार्पोरेट कंपनीयां भी एक किसान के रूप में आ रही हैं। उसको भी तर्कसंगत बनाकर जो केवल कृषि पर ही निर्भर हैं , वही इस परिभाषा में किसान माना जावे । यह सुधार होना चाहिए।
केन्द्र सरकार द्वारा लाये गये तीन अध्यादेश 1-आवश्यक वास्तु अधिनियम  1955 में सुधार अध्यादेश – 20202-कृषि ऊपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश – 20203-कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण ) कीमत आश्वाशन और कृषि सेवा पर करार   अध्यादेश – 2020         इस सन्दर्भ में अभी तक देश भर से 168 जिलो के 600  से भी अधिक विकास खंडो के , 10 हजार ग्रामों से माननीय प्रधानमन्त्री जी के नाम प्रस्ताव पारित कर भेजे गए हैं । ( फोटो में : कृषि मंत्री  श्री तोमर जी को ज्ञापन देते हुए सर्व श्री दिनेश कुलकर्णी , बद्री नारायण जी , केंद्रीय पशु पालन मंत्री श्री गिरिराज सिंह जी,   केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर जी, साईं रेड्डी जी, प्रभाकर जी केलकर , सुरेन्द्रन  जी बाये  से दाये  )

24 अगस्त 2020नई दिल्ली– भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर से बीटी बैंगन के जेनेटिकली मोडीफाइड परीक्षणों के लिए अनुमति नहीं देने की मांग को लेकर मुलाकात की उस समय श्री जावेडकर जी ने यह आश्वाशन दिया । भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति द्वारा हाल ही में देश के 8 राज्यों में  जनुकीय परिवर्तित (जी.एम.) फसल बीटी बैंगन के द्वितीय परीक्षण को करने की अनुमति दी है।  केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से हुई मुलाकात के बारे में जानकारी देते हुये प्रतिनिधिमंडल में शामिल भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय  महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने बताया कि किसान संघ के द्वारा केंद्रीय मंत्री के सामने बात रखी गई कि पर्यावरण प्रदूषण, जैव विविधता को खतरा, पशु एवं  मानव स्वास्थ्य, उत्पादकता, बाजार एकाधिकार आदि जैसे कई गंभीर मुद्दे हैं, जिन्हें जीएम फसलों के ऐसे परीक्षणों की अनुमति देने से पहले जानने एवम  विश्लेषण करने की आवश्यकता है, जो कि अभी भी लंबित हैं।
श्री चौधरी ने आगे अवगत कराया कि अधिकांश प्रतिष्ठित संस्थानों में, संसदीय स्थायी समिति, माननीय सर्वोच्च न्यायालय की तकनीकी विशेषज्ञ समिति, प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के विचार, कुछ कृषि प्रधान राज्यों के संबंधित अधिकारी आदि ने अपनी आशंका व्यक्त की है।  ऐसे में परीक्षण की अनुमति देना उचित नहीं होगा, जबकि कई राज्यों ने पहले ही जीएम खाद्य फसलों के परीक्षणों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अभी देश कोरोना महामारी के संकट से झूझ रहा है ऐसे समय, संबधित घटकों को अंधेरे में रखते हुए, बिना किसी से चर्चा करते हुए GEAC द्वारा यह निर्णय लिया गया, जिसका किसान संघ ने विरोध किया। GEAC की भी इसके बारे में पूछताछ होनी चाहिए।इस संदर्भ में तमिलनाडु, कर्नाटक, छतीसगढ़ ,मध्यप्रदेश, झारखंड,बिहार, बंगाल एवं ओडिशा के मा. मुख्यमंत्रियों को भी ज्ञापन देकर अनुरोध किया है कि वे अपने राज्यों में इसकी परीक्षण की अनुमति न दे।
सभी पहलूओं को स्पष्ट करने के बाद, पूरे देश में कही भी , संपूर्ण कृषक समुदाय और उपभोक्ताओं के लाभ के लिए बीटी बैंगन तथा अन्य जी.एम. फसलों के परीक्षण की अनुमति न देने का तथा देश अभी Non- GMO है , इसलिए GM खाद्यानों पर भी रोक लगे ऐसा  सरकार से आग्रह किया है। अखिल भारतीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर , भारतीय  किसान संघ
तत्संबंध में पर्यावरण मन्त्री श्री जाबड़ेकर जी ने सभी पहलुओं पर विचार कर सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया। इस अवसर पर भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय संगठन मंत्री  श्री दिनेश कुलकर्णी, अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी, अखिल भारतीय उपाध्यक्ष श्री प्रभाकर केलकर व अखिल भारतीय मंत्री श्री साई रेड्डी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ।

कृषिआधारित अर्थ नीति के बिना देश को आत्मनिर्भर नही बनाया जा सकता- त्रिलोचन महापात्रा महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारत सरकार
उत्तरप्रदेश/ मेरठ:भारतीय किसान संघ मेरठ प्रांत द्वारा गो आधारित जैविक कृषक संगम वेबिनार का आयोजन 2 अक्टूबर 2020  समय 2:30 बजे को ग्रास फार्म रोड स्थित मेरठ कैंट सी0आई0आर0सी के सभागार में आदरणीय श्रीमान दिनेश कुलकर्णी जी, अखिल भारतीय संगठन मंत्री भारतीय किसान संघ की अध्यक्षता में संचालित किया गया।


मुख्य वक्ता श्रीमान त्रिलोचन महापात्रा जी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद,भारत सरकार व कार्यक्रम प्रस्तावना हेतु ठाकुर धर्मपाल सिंह जी,अखिल भारतीय सह-जैविक प्रमुख,भारतीय किसान संघ रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री राज सिंह चौहान जी प्रांतीय महामंत्री व श्री कुलदीप कुमार जी  प्रांतीय मंत्री भारतीय किसान संघ मेरठ प्रांत ने किया।धन्यवाद ज्ञापन प्रांतीय अध्यक्ष ठाकुर हरवीर सिंह जी ने दिया इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड,हरियाणा,दिल्ली, आदि प्रदेशों   के हजारो जैविक कृषक एवं अनेक कृषि  वैज्ञानिक कार्यक्रम में सम्मिलित रहे।
मुख्य वक्ता श्रीमान त्रिलोचन महापात्रा जी ने कहा कि कृषि को छोड़कर हमारी अर्थ नीति या आर्थिक स्थिति में परिवर्तन नहीं हो सकता अगर खेती को छोड़कर अर्थ नीति की या अर्थव्यवस्था की बात करें। इसलिए यद्यपि कृषि का योगदान जीडीपी में 14-15% कम  है55% जनमानस कृषि पर अभी भी निर्भर करते हैं और देश गांव में बसता है अगर गांव के सरवर्धन,उन्नति,समृद्धि की बात करें तो खेती के बिना संभव नहीं हो पाएगा तो इसलिए 14-15% योगदान कृषि का जीडीपी में डोमेस्टिक प्रोडक्ट में कम होने के बावजूद खेती हमारे लिए देश के लिए आवश्यक है कीमती है और कृषि को छोड़कर देश नहीं चल सकता।
आज हम लोगों ने किसान भाइयों के अथक परिश्रम से देश 130 करोड़ से ज्यादा देश के जनमानस को अनाज खिला रहे हैं बाहर से हमें आयत नहीं करना पड़ता और हमारे पास इतना अनाज था कि कोविड़ के दौरान फ्री बांटने में सक्षम रहें कोविड के दौरान देश का किसान देश में कोई भूखा ना रहे ऐसी चिंता करते हुए अपने काम में लगे हे जिसके चलते फ़ूडक्रेन का उत्पादन 295 मिलियन टन जो कभी नहीं हुआ था यह सफलता की गाथा सभी किसान भाइयों कि जिंदगी से जुड़ा हुआ है किसानों के पसीने व मेहनत से जुड़ा हुआ है  इसलिए विशेष रूप से मैं आप सभी किसानों का आभार व्यक्त करता हूं और बाकी सभी सेक्टरों में नुकसान हुआ।कृषि ने देश को मजबूत किया है। इसलिए यह देश बिना कृषि के आत्मनिर्भर नहीं बन सकता हमारी अर्थ नीति का आधार कृषि और सिर्फ कृषि ही हो सकता है इससे छोड़कर और कोई रास्ता दिखाई नहीं देता है।
मुख्य अतिथि श्रीमान दिनेश कुलकर्णी जी ने कहा कि आज हमारे देश की पुरातत्व कृषि संस्कृति यानी गौ आधारित कृषि जो हमारी साझा धरोहर है उसे भारतीय किसान संघ द्वारा देश के हजारों किसानों ने अपनाया है ओर उसके सकारात्मक प्रमाण आये। देश के सभी किसानों इसको अपनाए ।गौ आधारित जैविक कृषि के मामले में किसानों को अनेक पर के भ्रम हैं उनको दूर करना होगा उनके लिये अनेक प्रकार संसाधन करने होंगे इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान को भी इसमें आगे आना होगा। जिस प्रकार हरित क्रांति को उस समय की आवश्यकता को ध्यान में रखकर काम किया गया आज उसी प्रकार से आज की आवश्यकता के अनुरूप भारत सरकार को देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों को युद्ध स्तर पर लगना होगा ताकि गौ आधारित कृषि में हो भ्रम को किसानों के मन से निकला जा सके।भारतीय किसान संघ इस दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है अब सरकार को भी विशेष अभियान के तहत आगे आना होगा।


भारतीय किसान संघ ने आयोजित की श्रद्धांजलि सभा
सरकार्यवाह भय्या जी जोशी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी रहे मौजूद भोपाल- जब तक व्यक्ति रहता है तो साथ में चर्चाएं होती हैं जब वह चला जाता है तो उसकी स्मृतियां और उसके किए गए कार्य ही शेष रह जाते हैं. इसी प्रकार का व्यक्तित्व वरिष्ठ प्रचारक श्री प्रभाकर जी केलकर का था. यह बात गुरूवार को भारतीय किसान संघ मध्यप्रदेश के द्वारा मानस भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश जी सोनी ने कही।ज्ञात हो कि वरिष्ठ प्रचारक और भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री प्रभाकर जी केलकर का निधन 71 वर्ष की आयु में 30 अक्टूबर को हो गया था और आज श्री केलकर को श्रद्धांजलि देने के लिए यह सभा आयोजित की गई. इस दौरान संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश जी सोनी ने कहा की स्वर्गीय केलकर आदर्श और प्रेरणादाई व्यक्तित्व के धनी थे. वह जितना मधुर गीत गाते थे उतना ही अच्छा उनका शारीरिक था ऐसे बहुयामी प्रतिभा के धनी विरले ही होते हैं ।


श्रद्धांजलि सभा में श्री केलकर को याद करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केलकर जी के साथ अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनका केलकर जी के साथ 44 वर्ष पुराना संबंध है। आपातकाल के दौरान जब वे जेल में गए थे तब पहली बार उनकी केलकर जी से प्रत्यक्ष भेंट हुई थी। मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि केलकर जी हमेशा ही प्रेम व उत्साह से परिपूर्ण रहते थे। प्रदेश में किसान संघ के संगठन को मजबूती देने में उनका अतुल्यनीय योगदान है। उन्होंने सरकार और किसानों का मित्रतापूर्ण रिश्ता आंदोलन के माध्यम से बनाकर दिखाया था ।


इस दौरान ध्यान योगी श्री उत्तम स्वामी जी ने भी सभा को संबोधित करते हुए श्री केलकर जी के साथ व्यतीत अपने समय को याद किया। श्रद्धांजलि सभा में श्री केलकर जी के साथ समय व्यतीत करने वाले कई अन्य लोगों ने अपने अनुभव नम आंखों से साझा किए इसके उपरांत उनके चित्रों पर पुष्प समर्पित कर मौन धारण करके श्रद्धांजलि दी गई ।


श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भय्या जी जोशी, भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी और भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आईएन बसवेगोडा सहित भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय और प्रांतीय अधिकारी व संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं अन्य संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे।

हिमाचल प्रदेश- राज्यपाल बंडारू दतात्रेय ने कहा कि दंतोपंत्त ठेंगड़ी मजदूरों के सच्चे हितैषी थे। वे किसानों और मजदूरों की लड़ाई लड़ते थे। यह कार्यक्रम श्रद्धेय दत्तोपन्त ठेंगड़ी जन्म शताब्दी समारोह समिति के समापन समारोह  के उपलक्ष्य में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में  मुख्य अतिथि राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय रहे, इसके अतिरिक्त विशिष्ट अतिथि क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रामेश्वर दास रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय विश्वविद्यालय के उपकुलपति डाॅ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने की। मुख्य अतिथि ने कहा कि ठेंगड़ी जी ने लिए भारतीय मजदूर संघ समेत अनेक संगठनों की स्थापना की। दंत्तोपंत ठेंगड़ी का जन्म 10 नवम्बर 1920 को महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने कहा कि दंत्तोपंत जी का पूरा जीवन स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और मजदूरों के हितों को बचाने के लिए समर्पित रहा। उनका कहना था कि दंत्तोपंत जी  किसानों के उत्थान के लिए भी सक्रिय रहे। उनका मानना था कि अगर किसान खुशहाल होगा तभी देश का वास्तविक विकास संभव है। इसी प्रकार मजदूरों का शोषण करने वालों के खिलाफ ठेंगड़ी जी जागरूक रहते थे और इसके विरूद्ध आवाज बुलंन्द करते थे। ठेंगड़ी जी के बल पर ही भारतीय मजदूर संगठन संगठित होने के साथ-साथ राष्ट्र व असंगठित मजदूर हितों का कार्य कर रहा है।  उन्होंने कहा कि ठेंगड़ी जी ने किसानों और मजदूरों के हितों के लिए लड़ाई लड़ी है और देश में समानता के लिए काम किया है। आज दत्तोपंत ठेंगड़ी जी द्वारा बताये गये रास्ते पर चलने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उतर क्षेत्र प्रचारक प्रमुख रामेश्वर दास ने कहा कि ठेंगड़ी जी ने ‘राष्ट्र का औद्योगिकीकरण, उद्योगों का श्रमीकरण तथा श्रमिकों का राष्ट्रीयकरण करने विचार दिया। उनका कहना था कि देश में मजदूर एक बहुत बड़ी शक्ति है ऐसे में उनको राष्ट्र के लिए काम करने के लिए प्रेरित करना होगा। ठेंगड़ी जी का मानना था कि ‘मजदूरों का संगठन मजदूरों के लिए, मजदूरों के द्वारा किया जाना चाहिए’ ठेंगड़ी जी ने श्रमिकों के नकारात्मक नारे ‘चाहे जो मजबूरी हो हमारी मांगी पूरी हों’ का सकारात्मक विकल्प  नारा  ‘देश हित में करेंगे काम, काम का लेंगे पूरा दाम’ केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला उपकुलपति कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा कि ठेंगड़ी जी स्वदेशी और किसान आंदोलन को दिशा प्रदान करने में भी किए गए प्रयासों का विस्तार से वर्णन किया गया। इस समारोह में जैविक कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले  छः किसानों  को सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर दंतोपंत ठेंगड़ी जी के जीवन पर आधारित स्मारिका का विमोचन और भारतीय किसान संघ की वेबसाईट का लोकार्पण भी राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने किया। कार्यक्रम के अंत में वंदेमातरम् का गायन भी किया गया। हिप्र विवि  के कुलपति प्रो• सिकंदर कुमार ने कार्यक्रम में मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों का अभिवादन किया। इस कार्यक्रम में समारोह समिति के सदस्य, वर्तमान व पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, विभिन्न सामाजिक धार्मिक व राजनीतिक संगठनों के कार्यकर्ता, संत समाज के प्रतिनिधि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह किस्मत कुमार, प्रांत प्रचारक संजय सिंह विभिन्न मीडिया के समूहों प्रतिनिधियों सहित शिमला शहर के गणमान्य उपस्थित रहे।

मध्यप्रदेश/ इंदौर- दत्तोपंत ठेंगड़ी जी भविष्यदृष्टा थे, उन्होंने आवश्यकता जानकर विभिन्न क्षेत्रों में संगठनों की स्थापना की। उनके द्वारा स्थापित संगठन आज विश्व के प्रमुख संगठनों में है। संघ द्वारा उन्हें जिस संगठन में भेजा गया दत्तोपंत जी बिना किसी प्रश्न के उस संगठन में जाकर कार्य किया और संगठन की पुनः प्राणप्रतिष्ठा की। जब मजदूरों के मध्य कार्य करने का कहा गया तो उन्होंने मजदूरों की स्थिति जानने के लिए कम्युनिस्ट मजदूर सागठनों में कार्य किया। राजनीति में भेजा गया तो वे राज्यसभा के सदस्य बने। उन्होंने कहा था की जल्द ही भारत के भाग्य का उदय होने वाला है और पूंजीवाद और साम्यवाद धीरे धीरे समाप्त होंगे जिसे हम सब अपनी आँखों से साक्षात होता देख रहे है। उक्त विचार अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनकर सबनीस जी ने दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के जन्म शताब्दी वर्ष के समापन समारोह के उपलक्ष्य में व्यक्त किये ।


कार्यक्रम में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष व दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्मशताब्दी वर्ष समारोह समिति की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन तथा भारतीय किसान संघ के मध्यक्षेत्र संघठन मंत्री श्री महेश जी चौधरी की विशिष्ट उपस्थिति रहीं अध्यक्षता पूर्व लोकसभा अध्यक्ष व दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्मशताब्दी वर्ष समारोह समिति की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने की। आभार भारतीय किसान संघ के प्रांतीय अध्यक्ष कमल आँजना जी ने प्रकट किया। कार्यक्रम मे गौ आधारित एवं जैविक कृषि करने वाले कृषकों का सम्मान किया गया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का सीधा प्रसारण विश्व संवाद केंद्र मालवा के फेसबुक पेज से किया गया।कार्यक्रम की बैठक व्यवस्था में शारीरिक दूरी एवं कोरोना की गाइडलाइन का पूर्णरूप से पालन किया गया।


(30 मई 2020)जबलपुर- कोरोना महामारी के इस संक्रमण काल में देश का अन्नदाता किसान जहां अन्न भंडार भरने में कड़ा परिश्रम कर रहा है। वहीं दूसरी ओर कोरोना महामारी से पीड़ित जनों के लिये रक्तदान में भी पीछे नहीं है। तपती गर्मी में किसानों के द्वारा 101 यूनिट रक्तदान इसका सजीव प्रमाण है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रांत प्रचारक प्रवीण गुप्त ने श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जनशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य पर भारतीय किसान संघ जबलपुर के द्वारा पाटन में आयोजित रक्तदान व रक्त परीक्षण शिविर के अवसर पर व्यक्त किये। श्री गुप्त ने आगे कहा कि किसान के परिश्रम के कारण ही आज हम कोरोना जैसी आपदा के समय में समाज के हर वर्ग को भरपेट भोजन उपलब्ध कराने में सफल हुये हैं। हमारे पास चिकित्सा के साधनों की कमी हो सकती है लेकिन अन्न के भंडारों की कमी नहीं हैं। जिसके लिये हमारे देश का देवतुल्य किसान साधुवाद का हकदार है। 
पाटन विधायक अजय विश्नोई ने अपने संबोधन में कहा कि पाटन क्षेत्र का किसान गरीब जनों के लिये पांच सौ क्विंटल अन्न का दान कर चुका है और आज भीषण गर्मी में रक्तदान कर रहा है। धन्य है यह भूमि जिसने ऐसे किसान पुत्र पैदा किये हैं। पाटन के सामुदायिक भवन में आयोजित रक्तदान व रक्त परीक्षण शिविर में सेवा भारती महाकोशल प्रांत, इंडियन रेडक्रास सोसाइटी जबलपुर, योगमणि ट्र्स्ट व राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के स्वंयसेवकों का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। कृषि विभाग की अनुविभागीय अधिकारी इंदिरा त्रिपाठी ने भी रक्तदान कर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

कोटा, 6 जुलाई । भारतीय किसान संघ राजस्थान प्रदेश, चित्तौड़ प्रान्त के कोटा संभाग के कोटा, बूंदी, बारां व झालावाड़ जिले में जिला मुख्यालयों पर लहसुन व चना की खरीद शुरू करने की मांग को लेकर महिलाओं ने धरना देकर किसान संघ के आंदोलन में शामिल होने का संकेत सरकार को दिया।
 बारां में महिलाओं का नेतृत्व किसान संघ की प्रांतीय उपाध्यक्ष राममूर्ति मीणा ने किया ।  वही झालावाड़ में जिला महिला प्रमुख सज्जन बाई दांगी व झालरापाटन  महिला प्रमुख नीतू लोधा, कोटा में  भारती नागर प्रांत महिला प्रमुख, रजनी धाकड़ संभाग महिला प्रमुख श्रीमती संतोष जिला महिला प्रमुख व बूंदी में भी महिलाओं   के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन किया । देखने की बात यह रही कि सभी जगह महिला वक्ताओं ने ही धरनार्थी महिलाओं को संबोधित किया जो जोश से लबरेज थी।  व आंदोलन से किसी भी तरह से पीछे हटने को तैयार नहीं थी। 

भारतीय किसान संघ के आह्वान पर शुरू किए गए किसान आंदोलन में कोटा ,बारां व झालावाड़ में तो तय समय से घंटे भर पहले ही  नारेबाजी करती महिलाओं आना शुरू हो गया था। जिनका नेतृत्व महिलाओं ने ही किया व महिला कार्यकर्ता ही प्रतिनिधिमंडल के कलेक्टर के पास पहुंची । चारों जिलों के जिला कलेक्टर से वार्ता करते हुए जिन्होंने बताया कि चालू साल में एक तरफ तो पानी की कमी से किसानों की जमीनें कई जिलों में  पढ़त रह गई। वहीं दूसरी ओर फसलों के भी भाव नहीं है ।  ऐसे में हमारे  सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है । इसके चलते  लहसुन और चना की खरीद पुनः शुरू की जा कर सभी पंजीकृत किसानों काा लहसुन, चना, सरसों खरीदा  जावे । ऐसा नहीं किया तो महिलाओं के साथ हमारे बच्चे भी आंदोलन में कूदेंगे। 


उन्होंने  मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ज्ञापन भेजकर राज्य सरकार से  कहा है कि बिना लक्ष्य पूरा किए व पंजीकृत किसानों का लहसुन और चना खरीदे बिना ही खरीद बंद करके सरकार ने हमें आंदोलन को मजबूर किया है । प्रान्त महिला प्रमुख भारती नागर ने धरने पर बैठी महिलाओं को संबोधित करते हुए चेतावनी  कि हम आंदोलन को तेज करेंगे।


ये रहे तैनात-
बारां में प्रदेश महामंत्री कैलाश गंदोलिया, प्रांतीय युवा प्रमुख अमृत छजावा, प्रांत मंत्री शंकर लाल नागर, संभाग अध्यक्ष घनश्याम मीणा मौजूद रहे। 
यहां जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह सिरोहिया जिला मंत्री भूपेंद्र शर्मा ने धरने की सारी व्यवस्थाएं संभाल रखी थी । झालावाड़ जिले में जिला मंत्री राधेश्याम गुर्जर युवा प्रमुख केवल चंद्र पाटीदार मैं सारी व्यवस्थाएं राम रखी थी जहां पर प्रांत से जिला प्रभारी हेमराज यदुवंशी व सह प्रभारी सीताराम नागर उपस्थित थे।कोटा में  प्रांतीय महामंत्री जगदीश कलमंडा, जिलाध्यक्ष गिरिराज चौधरी व जिला मंत्री श्याम जी तथा देवीशंकर जी मौजूद थे वहीं  बूंदी में संभाग मंत्री प्रहलाद जी नागर,जिला अध्यक्ष मोहनलाल नागर व जिला मंत्री  संतोष जी     समेत प्रांतीय कोषाध्यक्ष रामकुमार जीआदि ने महिला कार्यकर्ताओं के धरने को व्यवस्थित रखने के लिए कमान संभाल रखी थी।प्रान्त अध्यक्ष प्रवीण सिंह चौहान के मार्गदर्शन में आगे की योजना बनाते हुए तय किया गया कि आगामी 11,12 व 13 जुलाई को कोटा सम्भाग की सभी तहसीलो पर विशाल युवा किसान कार्यकर्ताओ के प्रदर्शन होंगे तथा प्रान्त के अन्य जिला केंद्रों पर 13 जुलाई को प्रदर्शन के साथ ज्ञापन सोपे जाएगे उसी दिन आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
भवनिष्ठ:
हेमराज यदुवंशी 
प्रांत प्रचार प्रमुख 
9460004220

India is an agriculture predominant country. Farmers and agriculture as well as agro based businesses are the main strength of our nation. Indian nation’s expression cannot be visualized without farmer and agriculture. In spite of such good growth and development all around the world, the Indian village based farmer is feeling cheated and helpless. He seems to have been left behind in the pace of development. Many organizations of Nation are trying to rectify this anomaly but most of them are either mouth pieces of some individual (or individuals), or either associated with political parties. These are using farmers to meet their own selfish ends or to fulfill high personal ambitions. The need of the hour at present is to have a non political organization which can awaken the farmers towards creatively achieving their just rights without forgetting their duties as citizens of the country.

Introduction

Realizing above situation and need, nation’s great thinker of international repute the Right Honorable Dattopantji Thengdi made great efforts to raise an organization of Indian farmers with non political nationalist ideology.

Under the able guidance of Shri Thengdiji, Shri Bhau Saheb Bhaskuteji as the guiding soul, formed for the first time Bhartiya Kisan Sangh in Madhya Pradesh in 1978 and began its activities after getting the organization duely registered. The first meeting and the registration took place in the Kasera Dharamsala of Hoshangabad distt. Next year Shri Bhaskuteji travelled the whole nation length and breadth over motivated 650 farmer representatives and organized their first conference at Kota (Rajasthan) on the 3rd, 4th and 5th of March 1979. In this very conference the all India organization of Indian farmers – The “Bhartiya Kisan Sangh” was established on 4th March by Shri Thengdiji. On this very occasion Shri Thengdiji declared emphatically and in clear words that this “Organization would be a non political body of the farmers, for the farmers and by the farmers”

Stead fastly working according to the opening declarations given above, the Bhartiya Kisan Sangh is progressing positively and at present is the nations largest organization of farmers.

Movements Based

In democracy to maintain the farmers honor, in creative struggles against the system the most effective method is non violent movements and demonstrations.

Thus maintaining the constitutional norms and conventions of democracy the BKS has organized many movements and is continuing some of them at present, according to its numerical and moral strength. The BKS has been successful in most of them. It has given its stand on some of the outstanding issues of times, and the opinion has been universally accepted and abided.

Flag

The flag of BKS is ochre coloured, signifying nations history, tradition and life. Ochre being similar to that of morning light signifies regularity and radiance like that of sun. Like fire it signifies purity and power, as robes of seers and monks it denotes knowledge and renunciation. To sum up the ochre flag is a symbol of noble ancient eternal Indian Culture. To have uniformity in flag, this has been kept rectangular with ratio of length : breadth at 3:2. In the centre of the flag is embossed the emblem of BKS

Motto

(Krishi Mit Krishaswa) meaning do farming itself. This phrase is a part of larger Rg Vedic mantra from Akshdevan Suktam which means Don’t gamble, do farming itself, and live graciously on its earnings.