Bharatiya Kisan Sangh

नई दिल्ली, 24.05.2021

26 मई 2021 ‘काला दिवस’ का समर्थन नहीं: भारतीय किसान संघ

दिल्ली की सीमा पर आंदोलनरत किसान नेताओं द्वारा 26 मई 2021 को लोकतंत्र का काला दिवस घोषित किया गया है, इसका भारतीय किसान संघ विरोध करता है। गत 26 जनवरी जैसा भय, आतंक एवं डर पैदा करने की योजना दिखाई दे रही है। 26 मई का दिन चुनने के पीछे कारण कुछ भी रहा हो परन्तु देश के किसान इस बात से आक्रोश में है कि किसान के नाम को बदनाम करने का अधिकार इन स्वयंभू, तथाकथित किसान नेताओं को किसने दिया है। किसान शार्मिंदा है कि वह राष्ट्र विरोधी कार्यों, विलासितपूर्ण रहन-सहन, राष्ट्रीय मान बिंदुओं का अपमान, विदेशी फंड़िग, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन और इतनी बड़ी कोविड़ त्रासदी के समय भी इतना स्वार्थी बन सकता है, ऐसी छवि निर्माण करने का पाप इन लोगों ने किया है।

भारतीय किसान संघ ने इस आंदोलन के आरम्भ से कुछ समय बाद ही आशंका प्रकट की थी कि यह किसान का आंदोलन नही हैे, आंदोलन कुछ अराजक तत्वों के हाथों द्वारा संचालित है।

अप्रैल-मई माह में ही एक बंगाल के किसान की 24 वर्षीय पुत्री के साथ सामूहिक बलात्कार और अंत में उसकी हत्या की घटना जो दिल्ली बार्डर पर घटी और 10-15 दिन तक पुलिस से छुपाया गया ताकि सबूत नष्ट किये जा सके। जिसके सबूत नष्ट करने मेे नेतागण लिप्त पाये गये है। यह तो एक घटना है, जो बाहर आ गई वह भी लड़की के पिता द्वारा पुलिस केस दर्ज कराने के कारण, न जाने क्या-क्या घटनाएं/काण्ड यहां घटित हुए हंै, कई लोगों पर अपराधिक प्रकरण भी बने हैं। इससे भी आगे बढ़कर इन आंदोलनकारियों द्वारा बीच-बीच में आक्सीजन गैस टेंकर्स को रोकना, एम्बूलेंस मंे गंभीर रोगियों से बदसलूकी करना, एक-एक सप्ताह तक अलग-अलग झुण्ड आंदोलन स्थल पर बुलाना, वापस जाना, कोरोना की गाईडलाईन को नहीं मानना, हिसार मंे कोविड़ अस्पताल का विरोध करना जैसी अवांछनीय हरकतों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना बीमारी के विस्तार में भी बड़ी भूमिका निभाई है। पंजाब में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा कोविड़ ग्रस्तों की सहायता के लिए रक्तदान शिविर का विरोध करके रक्तदान नहीं होने देना, इन सब कृत्यों को शांतिपूर्ण आंदोलन का हिस्सा तो नहीं कहा जा सकता। आंदोलन स्थल पर सेकड़ों किसानों की मौत भी हो चुकी है।

जिन 12 राजनैतिक दलों ने इस काले दिवस वाले कार्यक्रम के समर्थन की घोषणा की है, उनको भी यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे इस आंदोलन में घटित शर्मनाक, राष्ट्रविरोधी एवं अपराधिक घटनाओ का भी समर्थन करते है? देश का आम किसान जानना चाहता है कि लाचार किसानों के नाम को बदनाम करने का ठेका इन लोगों को किसने दे दिया।

इसलिए भारतीय किसान संघ आम जनता से निवेदन करना चाहता है कि इन हरकतों में देश के आम किसान को दोशी नहीं ठहराया जावे। देशभर के किसान संगठनों के कार्यकर्ता इस महामारी में अपने-अपने स्थलों पर ग्रामीणों में जन जागरण, भूखे-प्यासे गरीब की दैनिक आवष्यकता पूर्ति, औषधि-उपचार की व्यवस्था में लगा हुआ है।

यहां भारतीय किसान संघ केन्द्र सरकार का भी आहवान करता है कि केवल हिंसक आंदोलनकारियों के अलावा भी देशभर में किसानों के मध्य आंदोलनात्मक एवं रचनात्मक कार्य करने वाले अन्यान्य किसान संगठन और भी हैं, उनकी केन्द्र द्वारा अनदेखी कब तक की जायेगी, उनको बुलाकर आम किसान की चाहत एवं उससे जुड़ी कठिनाईयों पर क्यों नही वार्ता की जाती ?


बद्रीनारायण चौधरी
महामंत्री, भारतीय किसान संघ
09414048490

  1. प्रेसवार्ता
    तूर, मूंग और उड़द के आयात पर लगे हुए प्रतिबंधों को हटाते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आयात की छूट दी गई है
    यह निर्णय देश के दलहन किसानों को हतोस्ताहित करने वाला

दलहन आयात खोलने एवम खाद दरों मे वृद्धि के निर्णय को तुरन्त वापस ले केंद्र सरकार: भारतीय किसान संघ की मांग

महामंत्री मा. श्री बद्री नारायण जी की  पत्रकार वार्ता

नई दिल्ली, दिनांक- 19 मई 2021

इस कोविड महामारी के समय खेती किसानों के संदर्भ में महत्वपूर्ण विषयों पर जैसे खाद की बढ़ी कीमतें, दालों की आयात से प्रतिबंध हटाना, KCC आदि के बारे में भारतीय किसान संघ का मंतव्य। 

भारतीय किसान संघ देशभर में जहां जितनी शक्ति है, उसे ग्रामीण क्षेत्रों में आम जन का सहयोग करने मनोबल बढ़ाने, जागृति निर्माण करने में लग गया है। हमारा कार्यकर्ता सामान्य समय में भी घर के काम के साथ साथ किसानों के रचनात्मक, संगठनात्मक एवं आंदोलनात्मक कार्यों में सक्रिय रहता है, तो ऐसे संकट के समय में अपने आपको और अपने परिवार को सुरक्षित रखते हुए अपने गांव के लिए सक्रिय नहीं हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। ग्रामीण क्षेत्रों में नेतृत्व की बड़ी भूमिका देखी जा सकती है, यदि 2-3 बंधु भी मिलकर किसी गांव में निकल पड़ते हैं, और वे भी जांचे परखे हुए अर्थात समाजसेवी लोग तो फिर गांव की सज्जन शक्ति सहयोग के लिए तत्पर देखी जा सकती है। आरम्भ में भय/डर दूर करने में मेहनत अधिक करनी पड़ी हैं, परंतु अंततः साथ तो लगना ही पड़ता है। हम अनुमान लगा सकते हैं कि लगभग 35-40 हजार गांवों में आत्मविश्वास जगाने एवं सरकार / चिकित्सकों के साथ तालमेल बनाकर कोरोना से ग्रस्त बंधुओं का सहयोग करने का यत्न कर पायेंगे। अब आज की प्रेसवार्ता के मुख्य बिंदुओं पर में आता हूँ।

श्री बद्रीनारायण चौधरी, महामंत्री, भारतीय किसान संघ

1. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से शनिवार 15 मई 2021 को भारत सरकार के गजट में प्रकाशित अधिसूचना की ओर ध्यानाकर्षित कराना चाहूंगा जिसमें तूर, मूंग और उड़द के आयात पर लगे हुए प्रतिबंधों को हटाते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आयात की छूट दी गई है, उल्लेखनीय है कि ये सभी दलहन फसलें खरीफ में पैदा होने वाली है और खरीफ की फसल का बुवाई का समय सामने आ चुका है। ऐसे समय पर इस निर्णय का यह संदेश जाने वाला है कि इस बार खरीफ की फसल में देश के किसानों को तूर, मूंग और उड़द की फसलों की बुवाई नही करनी है क्योकि खरीफ की फसल का बुवाई का समय सामने आ चुका है।

ऐसे समय पर इस निर्णय का यह संदेश जाने वाला है कि इस बार खरीफ की फसल में देश के किसानों को तूर, मूंग और उड़द की फसलों की बुवाई नहीं करनी है क्योंकि आयातित दालों के कारण इनका पूरा मूल्य नही मिलेगा। सभी जिम्मेदार लोग दलहन व तिलहन में देश को आत्मनिर्भर बनाने की घोषणाएँ तो करते है परन्तु समय आने पर उचित निर्णय लेते हुए दिखाई नहीं देते है। दलहन में हम लगभग आत्मनिर्भर हुए हैं परन्तु वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा यह कदम दलहन किसानों को हतोस्ताहित करने वाला सिद्ध होगा। दालों का यह आयात आत्मनिर्भरता को समाप्त करेगा, जिसके लिए गत कुछ वर्षों के प्रयास बाद सफलता मिली है। वरना हम खाद्य तेलों की भांति ही दलहन के मामले में भी एक कुचक्र में फंस जायेंगे।

भारतीय किसान संघ का यह मानना है कि समस्या उत्पादन की नहीं है, वितरण की एवं नीति निर्धारण की अधिक है। इसलिए भारतीय किसान संघ मांग करता है कि इस निर्णय पर केन्द्र सरकार पुर्नविचार करें और आयात खोलने के निर्णय को तुरन्त वापस ले।

2. रासायनिक खाद की दरों में 1.5 गुणा वृद्धि IFFCO द्वारा वर्ष 2021-22 के लगते ही DAP की दरे 1200 रूपये (प्रति 50 किलो) बैग से 1900रू. बैग की जा चुकी ।

• मई माह में नई दरों के साथ बिक्री शुरू की जा चुकी, किसानों में भ्रांति पैदा हुई है, उर्वरक मंत्रालय ने घोषणा की है कि अभी ऐसे समय में निर्माता कम्पनियां बढ़ी दरों पर नहीं बेच सकती’ जबकि बाजार में नई दरों पर ही डीलर्स बेचने के लिए बैठे हैं, उनका कहना है कि जब हमें महंगा मिलता है तो हम कैसे कम पर बेचें ?
• इसलिए सरकार स्पष्ट घोषण करें, और स्पष्ट निर्देश जारी करे कि खादों का बेचान पुरानी कीमत पर ही हो ताकि भ्रांति पैदा करके किसानों का शोषण नहीं हो सके।

3. KCC कार्ड धारक किसानों को समय पर पुनर्भुगतान करने पर 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान की छूट दी जाती है। परन्तु विलंब से घोषणा करने पर बैंकों द्वारा पूरा ब्याज वसूल लिया जाता है, जो छूट बाद में आने पर भी किसान को नहीं मिलती, इसलिए केन्द्र सरकार अप्रेल 2020 से ही आरम्भ हुई इस असामान्य परिस्थिति के समापन तक की अवधि को पुनर्भुगतान हेतु आगे बढ़ाने की घोषणा करे, ताकि बैंकों एवं किसानों में भ्रम निर्माण नहीं हो।

4. KCC कार्ड धारक किसी किसान की कोरोना के कारण मृत्यु होने की दशा में उसे KCC ऋण से मुक्त करने के निर्देश भी शीघ्र जारी किये जावें ।

बद्रीनारायण चौधरी,

महामंत्री,
भारतीय किसान संघ
मो. 9414048490

प्रेसवार्ता (BKS) 19-05-2021

 

राज्य के किसानों को स्वावलंबी बनाने में जुटा भाकिसं, असम

कृष्ण कांत बोरा ,
भारतीय किसान संघ, असम
एक ओर जहां देश के कुछ किसान संगठन नये कृषि कानून को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारतीय किसान संघ (भाकिसं), की असम इकाई किसानों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह के कदम उठाते हुए किसानों की मदद कर रही है। भाकिसं, असम किसानों को आधुनिक खेती करने के लिए जहां प्रेरित कर रहा है, वहीं बेहतर खाद, बीज, सरकारी सहायता का बेहतर लाभ उठाने, कृषि उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए प्रोत्साहित कर उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
इस कड़ी में भाकिसं, असम द्वारा राज्य के आठ जिलों के किसानों को “मिशन टू एक्सप्लोर स्मार्ट एग्री” के तहत गुवाहाटी का भ्रमण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। यह कार्यक्रम गत 19 मार्च से आरंभ हुआ है। इसका समापन 27 मार्च को होगा। चयनित जिलों में मुख्य रूप से बंगाईगांव, कामरूप (ग्रामीण), पश्चिम कार्बी आंग्लांग, शोणितपुर, नगांव, मोरीगांव, नलबारी, बरपेटा शामिल हैं।
भाकिसं, असम के प्रदेश अध्यक्ष कुरुसार तिमुंग ने सोमवार को हिन्दुस्थान समाचार के साथ बीतचीत करते हुए कहा कि “मिशन टू एक्सप्लोर स्मार्ट एग्री” के तहत पहली बार बेहद पिछले हुए ग्रामीण इलाकों के किसानों को आधुनिक कृषि को समझने का मौका मुहैया कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि, औसत प्रत्येक जिले से कम से कम 10 गांवों के किसानों को गुवाहाटी का भ्रमण कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ जिलों जैसे पश्चिम कार्बी आंग्लांग जिला के ऐसे इलाकों के किसान हैं जिन्हें पहली बार गुवाहाटी पहुंचने का अवसर मिला और ऐसे कार्यक्रम का हिस्सा बन पाए। उन्होंने बताया कि किसानों के भ्रमण में स्थानीय आईसीएआर के अंतर्गत संचालित केंद्रीय वृक्षारोपण फसल अनुसंधान संस्थान (सीपीसीआरआई) नामक संस्था का भरपूर सहयोग मिला है।
उन्होंने बताया कि सीपीसीआरआई के कृषि वैज्ञानिकों ने जो शोध कार्य किया है, उसके बारे में किसानों को विस्तार से जानकारी देते हुए उसका लाभ उठाने का आह्वान किया। साथ ही वैज्ञानिकों ने अपने शोध क्षेत्र में तैयार विभिन्न प्रकार के उत्पादों जैसे नारियल, तामुल, दालचीनी, काली मिर्च, चॉकलेट समेत अन्य खेती एक साथ वैज्ञानिक तरीके से कैसे कर सकते हैं, इसके बारे में प्रायोगिक तौर पर समझाया। वैज्ञानिकों ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए चॉकलेट की खेती कैसे की जाए, इस बारे में भी विस्तार से बताया।
वैज्ञानिकों ने तामुल के पत्ते का उपयोग करते हुए किस तरह से केचुआ खाद तैयार की जा सकती है, उस पर भी व्यावहारिक रूप से प्रकाश डाला। किसानों ने वैज्ञानिकों के सुझाओं पर अमल करने का आश्वासन दिया।
इस दौरान पश्चिम कार्बी आंग्लांग की एक महिला किसान कुमारी निलम चौधरी ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि इस तरह का प्रोत्साहन मिलने से हमें नयी तकनीक और नयी खेती करने का लाभ मिलता है, जिससे हमारी आय में वृद्धि होगी। वहीं दूसरी ओर बंगाईगांव के एक युवा किसान तपन दास ने बताया कि वैज्ञानिक तरीके से की जाने वाली खेती को हम गांव-गांव तक पहुंचाएंगे, जिससे किसानों की आय को दोगुनी की जा सके। साथ ही उन्होंने कहा, एक ही जमीन पर पांच प्रकार की खैती कैसे की जा सकती है, इसको लेकर भी किसानों के बीच जागरूकता फैलाने की कोशिश करेंगे।
सीपीसीआरआई के एक वैज्ञानिक डॉ अल्पना दास ने कहा कि भाकिसं, असम द्वारा खेती को लेकर जो मुहिम चलाया गया है, वह किसान और वैज्ञानिक दोनों के लिए काफी लाभप्रद है। उन्होंने साथ ही कहा कि सही अर्थों में किसान विज्ञान से काफी दूर हैं। उन्हें साथ लाए बिना किसानों को भला नहीं हो सकता है। इस तरह के कार्यक्रम किसानों के लिए काफी सहायक सिद्ध होंगे।
Kisan Sangh Padayatra Nizamabad Cooperative Sugar Factory

Nizamabad: Demanding that the State government either revive the Nizamabad Cooperative Sugar Factory (NCSF) or hand it over to the Farmers Producers Organisation (FPO), shareholders of the company launched a padayatra from Thirmanpally village, on Monday.

Kisan Sangh Padayatra Nizamabad Cooperative Sugar Factory

The Padayatra, led by NCSF protection committee chairman K Sai Reddy, will cover 90 villages spread across eight mandals and conclude in front of the Nizamabad Collector’s Office on April 12. A massive public meeting will also be organised on the same day. Bharatiya Kisan Sangh (BKS) national general secretary Mohini Misra and leaders of various farmers’ associations were present during the padayatra launch.

Speaking on the occasion, K Sai Reddy demanded that the government take a final decision on the NCSF immediately. “Either the government should take steps to revive the company, or hand it over to the shareholders-promoted FPO,” he said. He also recalled how the company workers, during the TDP regime, prevented the then State government from privatising the factory. NCSF has a total of 350 shareholders and all of them are in support of the protest, he added.

Detail background

Factory (NCSF) was established in the year 1962 and in 1964 crushing was started. Till now we have earned 2 crores 85 lakhs of shares with the help of 23,216 farmers. 117 Villages and 1000 members of employees and 10,000 Farmer labourers were survived using this factory.

Till 1996 NCSF was in Profit. At that time government held by Sri Nara Chandrababu Naidu Garu of TDP (Telugu Desam Party) has issued a GO to privatize 12 Sugar factories in the cooperative sector in the united state of Andhra Pradesh.

Bharatiya Kisan Sangh filed an appeal in the High court and won against that privatization GO.

Against Government Privatization, on Nizamabad Cooperative Sugar Factory area 2001 and 2003 Sri SayaReddy Kondela went to the court and won the Battle. From 2004 onwards congress Government held by Sri Y.S Rajashekhar Reddy ran the factory till 2008.

Hereafter the Person in charge district collector and the Minister during that period wanted to close the factory. In 2014 on June 2nd Telangana state was formed. At the time of the elections TRS party chief and present CM Sri. K., Chandra Shekar Rao Garu gave a promise if he could win the 2014 elections to run any of the Cooperative sugar factories which are established in Telangana.

CM did not keep his promise and thereafter Bharatiya Kisan Sangh and NCSF Parirakshana Committee chairman Sri SayaReddy Kondela done many demonstrations and Darnas against Government. As any of the action did not take by the Government and didn’t agree to give the factory to the shareholders Sri SayaReddy Kondela has started a “Padayatra” from 15-03-2021 to 12-04-2021.

The program is to visit 90 Villages in 29 days Mobilize the farmers and enhance the use of the factory. The main Motive of the Programmer is to benefit the 500 members employment for the Farmers children and to give life to 5000 families by producing the sugarcane crop.

The Padayatra was started by Sri SayaReddy Kondela and the chief Guest was Sri Mohini Mohan Mishra (Bharatiya Kisan Sangh, All India secretary) on 15-03-2021 and Sri Raja Reddy (Bharatiya Kisan Sangh state General secretary). The Padayatra will be completed on 12-04-2021 at the Collector office Nizamabad by addressing a Public meeting.

With inputs from Bharatiya Kisan Sangh and Newindianexpress.com

किसानोमें काम करनेवाला, उनका संघटन करनेवाला अखिल भारतीय संघटन, ऐसी भारतीय किसान संघकी पहचान है। पूरे देशभरमें सभी प्रांतोमें किसान संघ का कार्य है। कुछ प्रांतोमें तो उसका प्रभाव है। किसान संघने तय किया हुआ कार्यक्रम अथवा की हुआ कोई माँग, वहाँका राज्यशासन भी दुर्लक्षित कर नही सकता।

आंदोलन, संघटन और प्रशिक्षण यह तीन पैलू किसान संघके कार्यका आधार है। उसमेंसे आंदोलन यह नित्य करनेकी बात नही, वह प्रासंगिक है। कोई विशेष विदुपर गहरी नजर रखना है, शासनकी ओर कुछ समस्या ले जाना है, कोई माँग करना है अथवा किसानोकी भलाई के दृष्टिसे, कुछ निर्णय लेने हेतु स्वायत्त संस्था या सरकारको बाध्य करना है, तो आंदोलनात्मक कार्यक्रम होते रहते है। आंदोलन करना आवश्यक होता है कभी कभी आंदोलन ग्रामपंचायत स्तरपर भी गावगावमें होते है। उसमे समाज सहभागी होना जरुरी रहता है। इसीलिये संघटन आवश्यक है । इस कारण ही संघटन मजबूत करना, निश्चित वैचारिक धारणासे खडा करना यह भारतीय किसान संघ का प्रथम कर्तव्य है।

संघटनमें काम करनेवाले कार्यकर्ता केवल भीड नही है। संघटनके ध्येय-धोरण-कार्यपध्दती आदीकी विस्तृत जानकारी रखनेवाला कार्यकर्ता चाहिये । कार्यकी योग्य दिशा जाननेवाला कार्यकर्ता चाहिये। अपने अपने क्षेत्रमें कार्यकी जानकारी पहुँचनी चाहिये । इसलिये कार्यकर्ताओंका प्रशिक्षण होना जरुरी रहता है। प्रशिक्षित कार्यकर्ता यह संघटनका बल है। इसीकारण ग्राम, तहसील, जिला, प्रांत देश आदि विविध सतहपर सातत्त्यसे प्रशिक्षण वर्ग चलते रहते है।

असी नियोजनबध्द कार्यशैली यह जिसका अंग है, ऐसे भारतीय किसान संघने वर्षभरमें चार उत्सव संपन्न करनेका निर्णय लिया है।

१) स्थापना दिन ४ मार्च

२) किसान दिन-भगवान बलराम जयंती (भाद्रपद शुध्द षष्ठी)

३) गौमाता पूजन (अश्विन वद्य द्वादशी)

४) भारतमाता पूजन (२६ जनवरी)

भारतीय किसान संघ का आरंभ एक अर्थसे विदर्भमें रहनेवाले एक प्रगत किसान श्री बाबूरावजी भैद इन्होने किया। यवतमाल जिला में दारव्हा गाव है । वहाँके वे निवासी थे। हर बात लिखित रुपमे रखना यह उनका रुची का विषय था। मान लो आज दोपहरमें ३ से ४ के बीच बारीश आयी । तुरन्त वे अपने डायरीमें उसे लिखित रुपसे शाबित करते थे । कितना मिलिमीटर, जोरदार की मुरोनी ऐसी भी जानकारी उनके पास रहती थी। बीज बोनेका दिनांक, निंदन कब किया, कितना माल हुआ, कितना बेचा, कितना रखा, जैसी सभी सभी प्रकारकी जानकारी लिखित रुपमें उनके पास रहती थी। वे स्वयं रखते थे। कृषिविषयक पूरी जानकारी उनके पास थी । साठ साल तक की जानकारी उन्होने एकत्रित की थी। उन्होने कुछ पुस्तके भी लिखी थी। स्वाभाविक रुपसे इस पूरी जानकारीका लाभ उनके आजू-बाजूमें रहनेवाले सभी किसान बंधुओंको मिला। इस वर्ष कौनसे नक्षत्र में कितनी बारीश आयेगी, इसका भविष्य वे बताते थे। और आश्चर्य की बात याने उन्होने बताया हुआ अंदाज, भविष्य बिलकुल सही होता था। बारीश का अंदाज लेते हुओे, कौनसा उत्पादन लेना चाहिये, उसका चयन होता था।

इस प्रकारसे उस क्षेत्रमे रहनेवाले किसान बंधुओंको लाभ होने लगा और किसान बंधु एकत्रित आना शुरु हुआ। उस माध्यमसे एक छोटा संघटन निर्माण हुआ । स्वयंम् बाबुरावजी भैद यही उसके प्रमुख थे। यह समय साधारणत: १९७१ का है । संघटन निर्माण हुआ किन्तु वह उस प्रदेशतकही सीमित रहा। संघटन का योग्य पध्दतीसे रजिस्ट्रेशन हुआ। उसमाध्यमसे किसानोंकी सभा, एकत्रिकरण, संमेलन, आंदोलन ऐसे भिन्न भिन्न कार्यक्रम होना शुरु हुआ। जनताका बहुत अच्छा समर्थन मिलने लगा १९७५ साल आया और सब चित्र बदल गया। उस समयके शासनने आपातकालीन स्थिती की घोषणा की। परिणामवश अनेक अच्छे कामोंमे बाधा आयी। अच्छे कार्य बंद हो गये। उसमे इस कार्यपर भी परिणाम हुआ। काम एकसाथ थंडा हुआ। अनेकानेक कार्यकर्ता बंधु जेलमें बंदिस्त हुऐ । सभीका नाइलाज हो गया। काम बंद हुआ।

१९७७ में आपातकालीन स्थिती समाप्त हुआ । फिरसे कार्यकर्ता बंधु धीरे धीरे सक्रीय हुओ। कार्यकर्ताओंके विचार- विमर्श से ऐसा प्रतीत होने लगा की किसानोंका एक अखिल भारतीय संघटन होना चाहिए । धीरे धीरे यह विचार निश्चित हुआ। तत्पश्चातही ४ मार्च १९७९ को राजस्थान प्रांत स्थित कोटा गाँव में सभी किसान बंधु और कार्यकर्ता गण एकत्रित बुलाये गये। श्रध्देय श्री दत्तोपंतजी ठेंगडी इनका मार्गदर्शन सबको मिला और अखिल भारतीय स्वरुपका किसानोंका संघटन ‘भारतीय किसान संघ’ इस नामसे काम शुरु हुआ । यही भारतीय किसान संघ का स्थापना दिन उस कार्यक्रममें स्वयम् ठेंगडीजीने कहा-

“जागृत, स्वयंप्रेरित, संघटित किसान और कामगार (श्रमिक) यही इस देश के सही भाग्यविधाता है। देशमें आमूलाग्र परिवर्तन यही लोग ला सकते है। उसीमेंसे देश परमवैभव को पहुँचेगा। इसी ध्येयसे किसान संघ की स्थापना हो रही है।”

उसी सभामें किसान संघके पहले अखिल भारतीय अध्यक्ष इस नातेसे श्री पुरुषोत्तमदासजी भाटिया इनका चयन हुआ । अपने मार्गदर्शक भाषणमें उन्होने कहा-

“भारत देश गरीब है, इसका कारण यहाँका किसान गरीब है। इसलिये यदि भारतको समृध्द कराना है, तो यहाँके किसानोंको समृध्द कराना होगा। दुर्दैवसे, स्वातंत्र मिलनेके पश्चातभी गरीबीमें सातत्यसे वृद्धिही हो रही है ।

यहाँकी अर्थव्यवस्थाका आधार मूलत: कृषि है। कृषि विकासपरही भारतके अन्य उद्योग, व्यवसाय इनकाभी विकास निर्भर है । भारतके आर्थिक विकासका मार्ग, इस देशके सात करोड खेतोंसे जाता है । यह विकासका क्रम नीचेसे-उपर जानेवाला है। उसी भाषणमें वे आगे कहते है –

देश की गरीबी दूर करनेका प्रयास गाँवसे शुरु होना चाहिये। हर व्यक्तिको गाँवमेही काम मिलेगा औैसी व्यवस्था होनी चाहिये । यह व्यवस्था हुी तो शहरके तरफ कामके लिये जानेकी कोई आवश्यकता नही रहेगी। शहरके तरफ जानेवाले किसानोंकी संख्या निश्चितही कम होगी। देशमें स्थित दस करोड किसान परिवार संघटित करनेके लिये हमें भगीरथ प्रयत्न करने होंगे। इस देशमें जाती, भाषा, पध्दती, रिवाज अलग अलग है। साथही खेती करनेकी पध्दती भी अलग अलग है वह पध्दती उस उस क्षेत्रकी मिट्टी पानी, वायुमंडल इनपर निर्भर है।

किन्तु, इस देशमें कई शतकोंसे, हजारो वर्षोंसे सांस्कृतिक जीवनका सूत्र सभीमें समान है। सांस्कृतिक परिवेश शाश्वत है। उसीके कारण विविधता होते हुए भी एकता है। इसलिये यह कार्य करनेका निश्चय हम सभीने करना चाहिये। उसके लिये हमें हर किसानके पास जाकर, उसे जागृत करना होगा। आज, किसान यंत्रवत हुआ है। उसकी मानवता नष्ट हुआ है उस किसानमें फिरसे स्वाभिमान जगाना होगा किसानको सन्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होनी चाहिये। एक-एक किसान जागृत हुआ तो देश जागृत होगा यही हमारा ध्येय है।”

किसानोके जीवनमें, उनके जीवनको दिशा देनेवाला, उनको एकत्रित लानेवाला, देशके वैभवका मार्ग निश्चित करनेवाला ऐसा मछत्त्वका दिन याने किसान संघ का स्थापना दिन है ।

यह दिन उत्सवके रुपमें हमने मनाना चाहिये। किसान संघ का कार्य बढानेकी उम्मीदसे मनाना चाहिये। किसान बंधुओ में चैतन्य निर्माण होना चाहिये। I

कार्यक्रम अलग अलग ढंगसे ले सकते है। स्थान-स्थानपर जो अनुकूलता है, स्थानिक परिस्थिती है, स्थानिक समस्याओंका विचार है, ऐसे सभी बातोंको ध्यानमें रखते हुओ, कार्यक्रम करने होंगे। इस निमित्तसे किसान बंधुओने एकत्रित आना यह अत्यावश्यक बात है। कुछ विशेष कार्यक्रम यदि नही लेना है, तो अपने सामान्य कार्यक्रम ले सकते है।

कार्यक्रम स्थलपर भगवान बलरामजीकी तसवीर किसान संघ के नामका फलक (बॅनर) लगाना। कार्यक्रमका स्वरुप तय लिखित रुपमे क्रम निश्चित करना। किसानोंसे जुड़ा राष्ट्रीय भाव निर्माण करनेवाला कोई गीत, कोई कार्यकर्ता तो अधिक अच्छा अच्छा वायुमंडल या माहोल तैयार होनेके लिये, उसका लाभ होता है गायक और गीत शुरुसेही निश्चित होना चाहिये । समाजमें रहनेवाले प्रतिष्ठित व्यक्ति वार्तापत्र  से संबंधित संवाददाता आदि लोगोंको तय करके निमंत्रित करना चाहिये।

भगवान बलरामका पूजन होनेके पश्चात, प्रास्ताविक, परिचय, उनका स्वागत, गीत, अध्यक्षीय भाषण, आभार प्रदर्शन,पसायदान ऐसा अनुक्रम लेकर कार्यक्रम संपन्न करना। इस दिये हुओ क्रम में अपनी आवश्यकतानुरुप परिवर्तन कर सकते है । आवश्यक है तो परिवर्तन अवश्य करना चाहिये।

स्थापना दिन को ‘समर्पण दिन’ करके मान्यता है। संघटन करना है, तो कार्यक्रम, प्रशिक्षण, आंदोलन ये सब काम करने पड़ते है। उस दृष्टिसे कार्यकर्ताओंको प्रवास करना होता है। कभी कभी कुछ बाते छपवा लेनी पडती है। कभी छायांकित प्रत (xerox) निकालना होता है। ऐसे छोटे-मोटे काम के लिये कई बार पैसा खर्च करना पड़ता है। ऐन समयके उपरभी कई बार खर्च होते रहता है। इसकेलिये पैसे की आवश्यकता तो होतीही है। यह खर्च कौन करेगा? स्वाभाविकरुपसे उसका निश्चित उत्तर है, की खर्च कार्यकर्ताही करेगा। इसलिये कोई अनुभवी या जेष्ठ कार्यकर्ताओंने इस भूमिका को अपने उदबोधनके  माध्यमसे बताना चाहिये। या, तो कार्यक्रमके पश्चात सूचनाओंकी माध्यमसे यह विषय स्पष्ट करना चाहिये तथा अर्थसहाय्य करनेका आवाहन करना चाहिये। पैसे लेते है, तो उसकी रसीद (पावती) देना चाहिये। घन संग्रह बिना रसीद न हो ।

स्थापना दिन के बहाने कुछ अलग उपक्रमोंका संकल्प हम कर सकते है। उदाहरणके लिये कुछ उपक्रम नीचे दिये है।

१) हर किसानके तरफ एक गैया रहेगी ऐसा प्रयास करना।

२) गाँवमें बरसनेवाला बारीशका पानी गाँवमेंही रहेगा इसका प्रयास करना।

३) कुओँका  जलस्तर बढानेका प्रयत्न करना।

४) खेत के बंधारेपर अच्छे पेड लगाना ।

५) जानवरोंके चराई के लिये गाँवमें जगह उपलब्ध करा देना । 

६) ग्रामपंचायत स्तरपर, जानवरोंके लिये पानी पीनेकी दृष्टिसे सार्वजनिक हौद का निर्माण करना और पानीकी व्यवस्था करना।

७) सहकार तत्त्वपर फसलकी आवागमन (ट्रान्सपोर्टेशन) की व्यवस्था करना । 

८) पूर्वापार जो बीज हम बोते थे, उसका वाण रक्षण करना, उसका उपयोग करके स्वयम्के लिये आवश्यक बीज तैयार करना।

९) कृषिसे संबंधित कोई लघु-उद्योग निर्माण हो सकता है क्या? इसका प्रयास करना।

१०) कृषि क्षेत्रमें होनेवाले विविध अनुसंधानोकी (Researches) जानकारी देना।

इसप्रकार, स्थापना दिन का विशेषत्त्व ध्यानमे रखते हुए, स्थान स्थानपर कार्यक्रम होने चाहिये, ऐसा प्रयत्न कार्यकर्ताओंने करना चाहिये। किसानोंके जीवनमें, इस ऐतिहासिक दिन का स्मरण निश्चित रुपसे होना चाहिये।

Nirmala Budget

किसान शक्ति, नई दिल्ली

                                                                                                                      दिनांक- 01.02.2021

भारतीय किसान संघ की बजट पर प्रतिक्रिया

कृषि क्षेत्र के लिए यह दीर्घकालीन सोच रखकर घोषित बजट

Nirmala Budget

वित्त वर्ष 2021-22 के लिए घोषित  बजट यद्यपि असाधारण परिस्थितियों, कोरोना काल एवं विकट घड़ी का बजट है, तथपि कृषि क्षेत्र के लिए कहा जा सकता है कि यह दीर्घकालीन सोच रखकर घोषित बजट है। बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं मण्डियों के दृढ़ीकरण की बात करके किसानों का भ्रम निवारण का प्रयास भी हुआ है। 

जैसा कि बजट घोशणा में वित्त मंत्री जी ने कहान्यूनतम समर्थन मूल्य सभी कृषि ऊपज का डेढ़ गुणा मिले, इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन किया जायेगा, साथ ही कृषि मण्डियों (APMC) के ढांचागत विकास फंण्ड की भी घोषणा की गई।

  1. कृषिगत सकारात्मक बिंदु जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देगें – 
  • कृषि ऋण के लक्ष्य को बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रूप्ये तक कर दिया है। 
  • आॅप्रेषन ग्रीन स्कीमके दायरे में खराब होने वाले 22 और उत्पाद शामिल होगें।
  • 1000 और मंण्डियों को एनएएम के अंतर्गत लाया जायेगा।
  •  APMC कृषि अवसंरचना कोश की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिससे वे अपनी बुनियादी सुविधाओं मे वृद्वि कर सकेगें।
  • 5 मतस्य बंदरगाहकोच्चि, चेन्नई, विशाखापट्नम, पारादीप और पेटुआघाट आर्थिक क्रियाकलापों के हब्स के रूप में विकसित होगें। 
  • नदियों जलमार्गों के किनारे स्थित अंतर्देशीय मत्स्य बंदरगाहों पर और फिष लैंडिग सेंटर का भी विकास होगा।
  • ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष को बढ़ाकर 40,000 करोड़ का प्रवाधान।
  • कपास पर 10 प्रतिशत सीमा शुल्क लगेगा।
  • कच्चे रेशम और रेसम सूत पर अब 15 प्रतिशत सीमा शुल्क।
  • सूक्ष्म सिचाई के लिए 5000 करोड़ राशि का आवंटन किया गया।
  • ग्रामीण क्षेत्र के लिए भी स्वास्थय सुविधाओं का विस्तार लम्बे समय से प्रतीक्षित था, जो स्वागत योग्य है। 
  • शोंध कार्य के लिए बजट प्रावधान मंे कृशि क्षेत्र के लिए शोंध हेतु बजट की मांग हम लम्बे समय से करते आये थे।  
  1. किसानों को बजट से और भी उपेक्षाएं थी, जो निम्न प्रकार है – 
  • कृषि उपकरण तथा आदानों पर जी.एस.टी. हटानी चाहिए।
  • कृषि ऋण को ब्याज मुक्त किया जाये।
  • किसान सम्मान निधि को बढ़ाया जाए।
  • सिंचाई के उपकरणों पर अनुदान बढ़ाया जाए।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MDP) व्यवस्था में यदि मूलभूत परिवर्तन सोचते हंै, तो वह स्पश्ट हो जाता तो समाधान होता, अब भी भ्रम की स्थिति बनी रह गई।
  • कृषि उपादान/आदानों की राषि सीधे किसानों के बैंक खातों (क्ठज्) में प्रति एकड़ कृषि भूमि आधारित पूर्ण रूप से लागू की जाए। किसान अपने हिसाब से उपादान खुले बाजार में खरीद लेगेें।
  • जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रति एकड़ अनुदान सीधे किसान (क्ठज्) को दिया जाए, जिससे वह गोबर खाद डालकर ही किसान खेती करेगा। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम होगा या नहीं करेगा।
  • तिलहन उत्पादन में देष आत्मनिर्भर हो सकता था यदि खाद्य कच्चे तेल पर आयात शुल्क 27.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत नहीं किया गया होता, बल्कि 27.5 को बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाना चाहिए था। 

बजट में आश्वस्त किया गया है कि तीव्रतापूर्वक न्याय व्यवस्था की जायेगी, डीजल एवं पेट्रोल पर कृषि सेस से स्पश्ट होता है कि कृषि विकास के लिए निरन्तर एवं भावी स्थाई आमदनी कोष तैयार करने की योजना है। अंत में प्रधानमंत्री जी, कृषि मंत्री जी एवं वित्त मंत्री जी द्वारा आश्वस्त किया गया है कि यह ग्राम केन्द्रित बजट है, तो वर्षभर हमें यह पूछने का हक दे दिया हैं कि सिद्व करें, इसमें जो गर्भित संदेश है, वह भी पूरा किया जावे।

 

महामंत्री,

भारतीय किसान संघ


अखिल भारतीय मंत्री श्री मोहिनी मोहन मिश्र ने वार्षिक महामंत्री प्रतिवेदन का वाचन किया।

बेंगलरू- भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक देश की आईटी राजधानी बेंगलरू में आहूत की गई है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में भारतीय किसान संघ के देशभर से आये प्रदेशों व प्रांतो के प्रमुख कार्यकर्ता सम्मिलित हुये हैं। कोरोना के कारण बैठक में शामिल होने वाली संख्या को सीमित रखा गया है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के प्रथम दिन की बैठक का शुभारंभ गौ पूजन व ध्वजारोहण के साथ किया गया। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के प्रारंभ में ही एक वर्ष की अवधि के दौरान कालकलवित हुये कार्यकर्ताओं को श्रद्वांजली दी गई। साथ ही देश की सीमाओं पर तैनात शहीद सैनिकों व प्राकृतिक आपदाओं में देवलोक को प्राप्त हुये अन्नदाता किसान को भी श्रद्वांजली अर्पित की गई।


अखिल भारतीय मंत्री श्री मोहिनी मोहन मिश्र ने किया वार्षिक प्रतिवेदन वाचन।
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय मंत्री श्री मोहिनी मोहन मिश्र ने प्रतिनिधि सभा में वार्षिक प्रतिवेदन का वाचन करते हुये बताया कि कोरोना की इस आपदा की परिस्थिति में सेवा कार्यो में लगे सभी वर्ग के साथ देश के अन्नदाता किसान ने देश का भरपूर सहयोग दिया। देश में कहीं भी खाने की सामग्री की कमी होने के समाचार नहीं मिले। श्री मिश्र ने आगे बताया कि देश के प्रधानमंत्री जी ने आम जन को संकट के समय गंभीरता पूर्वक नियम पालन का संस्कार देते हुए संपूर्ण देश में एक ही समय एक ही साथ थाली बजाना, कभी दीपक जलाने का आयोजन करके विश्व को चकित कर दिया। दुनिया भर मेें हाथ जोड़कर अभिवादन, आयुर्वेदिक औशधियों -जड़ी बूटियों का, भारतीय परिवार परम्परा का, समरस समाज जीवन का, मिल-बांटकर खाने का अनूठा अनुभव भी देखा और विदेशों में भी अपनाने का प्रयास किया गया।
श्री मिश्र ने प्रतिवेदन में आगे कहा कि देशभर में समाज ने दीपोत्सव मनाकर मंदिर निर्माण की उस ऐतिहासिक घड़ी का पुरजोर स्वागत किया और विश्व हिन्दु परिषद ने घोषणा की है कि कोई सरकारी सहयोग, कम्पनियों का सी.एस.आर. धन, विदेशी सहायता, राजनैतिक दलों से सहयोग प्राप्त राशि मंदिर के निर्माण मे प्रयुक्त नही होगी। केवल और केवल समाज के समर्पण से ही मंदिर का निर्माण पूरा होगा।
कृषि कानूनों पर भारतीय किसान संघ के अभिमत की जानकारी भी श्री मिश्र ने प्रतिनिधि सभा को दी। श्री मिश्र ने बताया कि वर्ष 2020 में 5 जून को केन्द्र सरकार द्वारा तीन अध्यादेश भी लाये गये, जो बाद में दोनों सदनों द्वारा पारित होकर महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा हस्ताक्षरों के बाद कानून का रूप ले चुके हैं । इन तीनों कानूनों के विरोध में भारतीय किसान संघ द्वारा जिला केन्द्रों पर धरने आयोजित किये गये और लगभग 20,000 ग्राम समितियों से प्रस्ताव पारित कर केन्द्रीय कृषि मंत्री जी एवं प्रधानमंत्री जी को भिजवाये गये। हमारे द्वारा इन कानूनों के पारित होने से पहले ही इनमें मुख्यतया चार संशोधनों की मांग रखी गई थी। परन्तु कृषि मंत्रालय द्वारा इन सुझावों की अनदेखी की गई और पंजाब प्रांत मे विरोध के स्वर उठें, जिन्होनें तीन माह तक वहां प्रांत स्तर पर आंदोलन जारी रखा, जो अक्टूबर के अंत में दिल्ली बार्ड़र पर धरने के रूप में आ पहुॅचा, दिल्ली पुलिस ने राजधानी में प्रवेश नहीं करने दिया, फलस्वरूप 2 माह से चल रहे इस आंदोलन में धीरे-धीरे हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान जुड़ते गये। दिसम्बर 15-16 को यह प्रकरण सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, वहां चल रहे वाद में भारतीय किसान संघ भी संशोधन या एक चौथा नया कानून बनाकर किसानों की शंकाओं का निवारण कराने की मांग पर आज भी आंदोलनरत है।
श्री मिश्र ने प्रतिनिधि सभा के समक्ष भारतीय किसान संघ के विभिन्न आयामों द्वारा किये जा रहे विभिन्न प्रदेशों व प्रांतो के कार्यवृत्तों को भी रखा।